
नई दिल्ली। भाजपा (BJP) के कद्दावर नेता (Strong Leader) और केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Union Transport Minister Nitin Gadkari) द्वारा पिछले कुछ दिनों से दिए जा रहे बयानों को लेकर भाजपा और संघ (Union) दोनों ही उनसे नाराज थे। इसी कारण संघ के दबाव के चलते भाजपा ने संसदीय बोर्ड (Parliamentary Board) से नितिन गडकरी को हटाया है। उन्हें संघ ने पहले ही आगाह किया था कि वे इस तरह की बयानबाजी (Rhetoric) न करें, जिससे विरोधियों को बोलने का मौका मिल जाए, लेकिन गडकरी ने संघ की बात को भी नजरंदाज किया, जिसके बाद संघ की सहमति पर नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) को संसदीय बोर्ड से हटाया गया। बताया गया कि संघ और भाजपा दोनों ही यह संदेश देना चाहते थे कि नेता चाहे जितना भी बड़ा हो, उसे संगठनात्मक आचरण के विरुद्ध जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
नहीं माने तो मंत्री पद भी जाएगा
माना जा रहा है कि संसदीय बोर्ड (Parliamentary Board) से हटाए जाने के बाद अगर गडकरी ने अपने बयानों को गंभीरता से नहीं लिया तो उनको मंत्रिमंडल से भी हटाया जा सकता है।
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