
लेह: लद्दाख (Ladakh) को राज्य (State) का दर्जा देने की मांग को लेकर चल रही भूख हड़ताल (Hunger Strike) को लीड कर रहे जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षक सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने बुधवार को अपनी 15 दिन की भूख हड़ताल खत्म कर दी. उनका यह फैसला उस समय आया जब लेह में हिंसक प्रदर्शन और तोड़-फोड़ की घटनाएं हुईं, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई. इस दौरान जब प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हुई तो इसमें करीब 50 से अधिक के घायल होने की बात कही जा रही है. टीवी रिपोर्ट्स में चार लोगों की मौत होने की बात सामने आई है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि बाकी है.
सोनम वांगचुक ने कहा कि लेह में हुई हिंसा देखकर उन्हें बहुत दुख हुआ. उनका कहना था कि हिंसा केवल कुछ समर्थकों की नहीं, बल्कि पूरे लद्दाख की भावनाओं का परिणाम थी. उन्होंने इसे युवा पीढ़ी का ‘भड़ास’ और एक तरह का जनरेशन-जेड रिवोल्यूशन बताया, जो उन्हें सड़कों पर लेकर आया. वांगचुक ने स्पष्ट किया कि आज वहां कोई लोकतांत्रिक मंच नहीं है और उन्होंने लद्दाख की युवा पीढ़ी से अपील की कि वे हिंसा के रास्ते पर न चलें, अन्यथा उनकी पिछले पांच सालों की कोशिशें नाकाम हो जाएंगी.
सोनम वांगचुक ने जोर देकर कहा कि सरकार ने शांति का संदेश दिया है और इसे अनसुना नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने दोहराया कि युवा पीढ़ी शांति के रास्ते पर चले ताकि आंदोलन का उद्देश्य पूरा हो सके और लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने की मांग शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ सके.
लेह और लद्दाख में प्रदर्शनकारियों की चार प्रमुख मांगें हैं: लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए, 6वीं अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, कारगिल और लेह के लिए अलग लोकसभा सीटें बनवाई जाएं, और सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों की भर्ती को प्राथमिकता दी जाए. इन मांगों पर अगली बैठक 6 अक्टूबर को दिल्ली में होगी. याद रहे, साल 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था. उस समय सरकार ने यह आश्वासन भी दिया था कि हालात सामान्य होने पर लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा.
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