
सिद्धारमैया ने सुझाया पावर शेयरिंग का फार्मूला…लेकिन पहले मैं….
बैंगलुरु। कर्नाटक में मुख्यमंत्री (CM) को लेकर बने सस्पेंस के बीच मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार सिद्धारमैया (Siddaramaiah) ने पार्टी आलाकमान को पावर शेयरिंग का मामला सुझाते हुए खुद को पहले दो साल और बाद में अगले तीन साल के लिए डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री (Chief Minister to DK Shivakumar) बनाने की बात कही है।
पावर शेयरिंग फार्मूले के तहत खुद को पहले दो साल मुख्यमंत्री बनाए जाने के तर्क पर उन्होंने कहा कि वह उम्रदराज हैैं, इसलिए कम से 2024 के लोकसभा चुनाव तक पहले चरण में सरकार चलाना चाहते हैं। हालांकि डीके शिवकुमार ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ का हवाला देते हुए इस फार्मूले को खारिज कर दिया।
विधायक दे चुके वोट… अब दिल्ली में फैसला…
मुख्यमंत्री पद के ऐलान के पहले बैंगलुरु के एक होटल में कल हुई विधायक दल की बैठक में पार्टी के सभी नवनिर्वाचित 135 विधायकों ने हिस्सा लेते हुए मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए वोटिंग की। इससे पहले किसी ने शिवकुमार, तो किसी ने सिद्धारमैया, किसी ने डॉक्टर जी परमेश्वर, किसी ने खडग़े तो किसी ने लिंगायत नेता एमबी पाटिल के नाम का सुझाव दिया. तो कुछ विधायकों ने फैसला पार्टी हाईकमान पर छोड़ दिया।
खडग़े के सामने होगी मतों की गिनती
पर्यवेक्षक बैलेट बॉक्स को कांग्रेस आलाकमान तक तक ले जाएंगे और खडग़े के सामने खोलकर वोटों की गिनती करेंगे। अधिकतम मत प्राप्त करने वाले नेता का नाम गुप्त रखा जाएगा, क्योंकि मतदान केवल राय जानने के लिए किया गया था। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को भी दिल्ली बुलाया गया है। चर्चा के बाद मंगलवार या बुधवार तक फैसला लिया जा सकता है।
– दोनों पर्यवेक्षक सुरजेवाला और वेणुगोपाल के साथ ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार डी.के. शिवकुमार और सिद्धारमैया को दिल्ली बुला लिया गया।
– यदि सब ठीक रहा तो 17 मई को नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हो सकता है। इसके बाद 18 मई को शपथ संभव है, जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी भी शामिल होंगी।
– नए मुख्यमंत्री के साथ 30 कैबिनेट सदस्य शपथ ले सकते हैं।
डीके मजबूत
शिवकुमार का पक्ष इसलिए मजबूत है क्योंकि पार्टी को पिछले तीन वर्षों में उनके द्वारा किए गए प्रयासों से विजय मिली है। यदि उन्हें सीएम नहीं बनाया जाता है तो कैडर को गलत संदेश जा सकता है, लेकिन आलाकमान के लिए मुसीबत यह भी है कि सिद्धारमैया को कैसे मनाया जाए, क्योंकि वे भी पार्टी के लिए मजबूत हैं।
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