
नई दिल्ली: विश्व स्वर्ण परिषद (World Gold Council) की ताजा रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. अगर दुनिया भर में भू-राजनीतिक (Geopolitical) और व्यापारिक टेंशन (Business Tension) कम होती है, तो सोने के दाम में मध्यम अवधि में नरमी आ सकती है. इतना ही नहीं, अगर अमेरिकी डॉलर (US Dollar) और ट्रेजरी यील्ड (Treasury Yield) में उछाल आता है, तो सोने की चमक और फीकी पड़ सकती है. परिषद का कहना है कि केंद्रीय बैंकों (Central Banks) की सोने की खरीदारी में कमी और आम निवेशकों की मांग घटने से भी सोने के रेट में गिरावट देखने को मिल सकती है.
पिछले कुछ समय से सोना बाजार में छाया हुआ है. 3 नवंबर 2022 को जब सोना अपने सबसे निचले स्तर पर था, तब इसकी कीमत 1,429 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस थी. लेकिन अब ये दोगुने से भी ज्यादा होकर 3,287 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया है. यानी हर साल 30% की रफ्तार से बढ़ोतरी! इस तेजी के पीछे केंद्रीय बैंकों की लगातार खरीदारी, दुनिया भर में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और हाल में व्यापारिक जोखिम रहे हैं. इन सबने मिलकर केंद्रीय बैंकों की ब्याज दरों में बढ़ोतरी और नवंबर 2022 से अगस्त 2024 के बीच महंगाई में कमी के नकारात्मक असर को पीछे छोड़ दिया. पिछले शुक्रवार को भारतीय बाजार में सोने का रेट 97,511 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास टिका हुआ था.
विश्व स्वर्ण परिषद की रिपोर्ट बताती है कि सोने की कीमतों में हालिया रिकॉर्ड तोड़ तेजी ने निवेशकों को थोड़ा डरा दिया है. लोग अब सोच में पड़ गए हैं कि कहीं नुकसान न हो जाए. परिषद ने पुराने रुझानों को खंगाला और बताया कि कुछ खास वजहों से सोने के दाम में मध्यम या लंबी अवधि में कमी आ सकती है.
अगर दुनिया भर में भू-राजनीतिक और व्यापारिक माहौल शांत होता है, तो सोने की डिमांड कम हो सकती है. इसके अलावा, अगर अमेरिकी डॉलर मजबूत होता है या ट्रेजरी यील्ड बढ़ता है, तो सोने पर दबाव बढ़ेगा. साथ ही, अगर केंद्रीय बैंक सोना खरीदने में ढील बरतते हैं और आम लोग भी सोने में निवेश कम करते हैं, तो कीमतें नीचे आ सकती हैं.
परिषद का कहना है कि लंबे समय तक बड़ी गिरावट की आशंका तो कम है, लेकिन अगर मांग में कोई बड़ा और लगातार बदलाव आता है, तो सोने के दाम में अच्छी-खासी कमी देखने को मिल सकती है. मसलन, अगर बड़े संस्थान और आम निवेशक सोने में पैसा लगाना कम कर दें, या फिर सोने की सप्लाई अचानक बढ़ जाए, तो दाम टिकने में मुश्किल होगी.
सोने की चमक ने पिछले कुछ समय में निवेशकों को खूब लुभाया है, लेकिन विश्व स्वर्ण परिषद की ये रिपोर्ट कहती है कि सावधान रहने की जरूरत है. निवेशकों को दुनिया की आर्थिक हालत, भू-राजनीतिक माहौल और केंद्रीय बैंकों की नीतियों पर पैनी नजर रखनी चाहिए. अगर वैश्विक जोखिम कम होते हैं या अमेरिकी अर्थव्यवस्था में तेजी आती है, तो सोने के दाम में उतार-चढ़ाव हो सकता है.
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