
- स्वास्थ्य विभाग की मंशा पर उठ रहे सवाल, कई की शिकायत तक हुई
उज्जैन। उज्जैन के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों की ओर से खुद के निजी अस्पताल खोलने के मामले अब लगातार बढ़ते जा रहे हैं। शहर में ही 5 से 7 सरकारी डॉक्टर निजी अस्पताल या खुद का क्लिनिक खोलकर मरीजों से फीस लेकर उपचार कर रहे हैं। जिस पर न तो स्वास्थ्य विभाग ध्यान दे रहा हैं , ना ही जिला प्रशासन।
दरअसल, उज्जैन के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में तैनात डॉक्टर अपनी सरकारी ड्यूटी के दौरान ही अपने निजी अस्पतालों में मरीजों को देख रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में मरीजों को इलाज देने के बजाय वे अपने निजी क्लीनिकों या अस्पतालों में ज्यादा समय बिता रहे हैं। जिससे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इसके अलावा, सरकारी अस्पतालों में मरीजों को होने वाली लंबी प्रतीक्षा सूची और सुविधाओं की कमी की समस्या भी बढ़ती जा रही हैं। कई डॉक्टर तो मरीजों को अपने निजी अस्पतालों में ले जाकर लाखों वसूल रहे हैं। ऐसे कई मामलों में शिकायत भी हो चुकी हैं लेकिन अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। इससे प्रशासन की मंशा पर भी सवाल उठने लगे हैं। वहीं इस मुद्दे पर अब उज्जैन के लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। लोगों का कहना है कि सरकारी डॉक्टरों का निजी अस्पताल चलाना न केवल सरकारी अस्पतालों की सेवाओं को प्रभावित करता है, बल्कि यह सरकार की नीतियों का उल्लंघन भी है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों को उपचार देने के लिए तैनात डॉक्टर जब निजी प्रैक्टिस करेंगे, तो इसका असर स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर पड़ेगा।