
नई दिल्ली। सरकार ने फर्टिलाइजर मैन्युफैक्चरिंग (खाद बनाने वाली कंपनियों) करने वाली कंपनियों को चेतावनी दी है कि यूरिया और डीएपी जैसे सब्सिडी वाले मृदा पोषक तत्व बेचते समय किसानों को कीटनाशकों, नैनो-आधारित फसल पोषक तत्वों जैसे गैर-सब्सिडी वाले उत्पादों को जबरन बेचने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों के अनुसार रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत आने वाले उर्वरक विभाग ने 21 जुलाई को इस मुद्दे पर सभी उर्वरक कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों को एक पत्र लिखा।
पत्र में कहा गया कि विभाग को पता चला कि कुछ गैर-सब्सिडी वाले उत्पाद जैसे कीटनाशक, नैनो उर्वरक, जैव-उत्तेजक और अन्य उत्पादों को यूरिया और डीएपी/एनपीके जैसे सब्सिडी वाले उर्वरकों के साथ जोड़कर किसानों को बेचा जा रहा है। कंपनियों को सरकार की ओर से ऐसा नहीं करने की चेतावनी दी गई है।
विभाग ने कहा कि उर्वरक आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत आवश्यक वस्तुएं हैं और इसलिए, अन्य उत्पादों को सब्सिडी वाले उर्वरकों के साथ गलत तरीके से जोड़ना इस कानून के साथ ही उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 का भी उल्लंघन होगा। विभाग ने कहा कि वह ऐसी प्रथाओं को हतोत्साहित करने के लिए परामर्श जारी कर रहा है। बयान के मुताबिक, हालांकि, यह देखा गया है कि कुछ कंपनियों के डीलर और खुदरा विक्रेता किसानों को सब्सिडी वाले उर्वरक बेचते समय गैर-सब्सिडी वाले उत्पादों को जोड़ने की भी कोशिश करते हैं।
विभाग ने कहा कि इस तरह की गलत प्रथाओं से किसानों पर अनुचित वित्तीय बोझ पड़ता है। विभाग को शिकायतें मिल रही हैं, जिससे पता चलता है कि यह गलत प्रथा व्यापक तौर से लगातार जारी है, और इससे सरकार के उर्वरक सब्सिडी ढांचे के लक्ष्य को नुकसान पहुंच रहा है। विभाग ने शीर्ष प्रबंधन को यह सख्ती से सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि किसानों के लिए गैर-सब्सिडी वाले उत्पादों को सब्सिडी वाले उर्वरकों के साथ न जोड़ा जाए।
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