
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपये का बंपर लाभांश देना देश की अर्थव्यवस्था के लिए काफी अहम साबित होगा। इससे सरकार का राजकोषीय घाटा कम हो सकता है। वर्तमान में राजकोषीय घाटा 4.5% है, अब इसके घटकर 4.2% आने की उम्मीदें बढ़ गईं हैं। भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट के अनुसार यह घाटा 20 से 30 आधार अंकों तक कम होकर सकल घरेलू उत्पाद के 4.2% तक पहुंच सकता है।
2025-26 के केंद्रीय बजट में रिजर्व बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से करीब 2.56 लाख करोड़ रुपये का लाभांश मिलने का अनुमान जताया गया था। हालांकि आरबीआई ने ही उम्मीद से काफी अधिक लाभांश सरकार को दे दिया है। एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, यह अतिरिक्त राजस्व सरकार को अपने घाटे को कम करने में मदद करेगा। इसके साथ ही प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अधिक खर्च की गुंजाइश बढ़ेगी।
भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बंपर लाभांश से सरकार की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी। इससे, वैश्विक वित्तीय अनिश्चितताओं के बीच बॉन्ड्स की यील्ड कर्व को मैनेज करने मदद मिलेगी। यह रिजर्व बैंक के आकस्मिक जोखिम बफर को बढ़ावा देगा। जिससे इसका वित्तीय लचीलापन बढ़ा जाएगा। रिपोर्ट में आगे भारतीय रिजर्व बैंक के बड़े सरप्लस के पीछे की गतिविधियों के बारे में भी बताया गया। इसके अनुसार, केंद्रीय बैंक का सरप्लस मुख्य रूप से इसकी तरलता समायोजन सुविधा संचालन और घरेलू और विदेशी प्रतिभूतियों की होल्डिंग से ब्याज के रूप में होने वाली आय के कारण संभव हो पाया।
रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई ने मार्च 2025 के अंत तक बैंकिंग सिस्टम में धन डालना शुरू कर दिया। 1 मार्च, 2025 तक बैंकिंग प्रणाली की तरलता फिर से सरप्लस में आकर 1.2 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। 16 दिसंबर 2024 और 28 मार्च 2025 के बीच औसत तरलता घाटा 1.7 लाख करोड़ रुपये रही।
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