
नई दिल्ली। तेल क्षेत्र से जुड़े कानूनों में संशाधन के लिए तैयार किए गए मसौदा नियमों के अनुसार राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में सरकार के पास देश में उत्पादित सभी तेल और प्राकृतिक गैस पर पहला अधिकार होगा। कच्चे तेल को भूमिगत या समुद्र तल के नीचे से निकाला जाता है और इसे पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधनों में परिष्कृत किया जाता है। इसके साथ ही प्राकृतिक गैस का उपयोग बिजली उत्पादन, उर्वरक उत्पादन, वाहनों के लिए सीएनजी और पाइप्ड रसोई गैस के लिए किया जाता है। नियमों में संशोधन से जुड़े मसौदे में ऐसे अधिकारों को शामिल करने का मकसद सरकार को राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने और आपात स्थितियों के दौरान सार्वजनिक कल्याण सुनिश्चित करने में मदद करना है।
मसौदा नियमों के अनुसार तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादकों को “पूर्व-अधिकरण के समय प्रचलित उचित बाजार मूल्य” का भुगतान किया जाएगा। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने मसौदा नियमों पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं। इस वर्ष की शुरुआत में संसद ने तेल क्षेत्र (विनियमन व विकास) संशोधन विधेयक पारित किया था। इस विधेयक में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने, निवेश आकर्षित करने और देश के ऊर्जा परिवर्तन लक्ष्यों को समर्थन देने के लिए 1948 के अधिनियम के पुराने प्रावधानों को बदलने का प्रस्ताव है।
नियमों में कहा गया है कि, “पेट्रोलियम उत्पादों या खनिज तेल के संबंध में राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में, भारत सरकार को, ऐसे आपातकाल के दौरान, हर समय, पट्टे पर दिए गए क्षेत्र से निकाले गए कच्चे तेल या प्राकृतिक गैस से उत्पादित खनिज तेलों, परिष्कृत पेट्रोलियम या पेट्रोलियम या खनिज तेल उत्पादों, या ऐसे कच्चे तेल या प्राकृतिक गैस, जिसे पट्टेदार को भारत के भीतर परिष्कृत किए बिना बेचने, निर्यात करने या निपटाने की अनुमति है, और इस पर सरकार को पूर्वाधिकार का अधिकार होगा।”
इस अधिकार का प्रयोग “भारत सरकार की ओर से पट्टेदार को पूर्वक्रय के समय प्रचलित उचित बाजार मूल्य, पूर्वक्रय में लिए गए पेट्रोलियम या पेट्रोलियम या खनिज तेल उत्पादों या कच्चे तेल या प्राकृतिक गैस के लिए” प्रदान करके किया जाएगा। हालांकि नियमों में यह परिभाषित नहीं किया गया कि राष्ट्रीय आपातकाल क्या होगा। उद्योग सूत्रों ने कहा कि युद्ध या युद्ध जैसी परिस्थितियां- जैसे कि पाकिस्तान के साथ सैन्य गतिरोध में देश ने सामना किया – या प्राकृतिक आपदाएँ राष्ट्रीय आपातकाल का गठन कर सकती हैं।
नियमों में कहा गया है, “खनिज तेलों के संबंध में राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति क्या होगी, इसका निर्णय भारत सरकार को ही करना होगा। इस संबंध में उसका निर्णय अंतिम होगा।” मसौदा नियमों में तेल और गैस परिचालकों को अप्रत्याशित परिस्थितियों में अधिनियम के तहत अपने दायित्वों से छूट देने का भी प्रावधान है। नियमों में कहा गया है कि अप्रत्याशित घटना में दैवीय आपदा, युद्ध, विद्रोह, दंगा, नागरिक उपद्रव, ज्वार, तूफान, ज्वार की लहर, बाढ़, बिजली, विस्फोट, आग, भूकंप, महामारी और अन्य कोई भी घटना शामिल है, जिसे पट्टेदार उचित रूप से रोक या नियंत्रित नहीं कर सकता।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved