
डेस्क: खाद्य तेल (Edible Oil) की आसमान छूती कीमतों (Skyrocketing Prices) को काबू करने और बाजार (Market) में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार (Goverment) ने बड़ा कदम उठाया है. अब खाद्य तेल बनाने वाली कंपनियों के उत्पादन, बिक्री और स्टॉक पर सरकार की पैनी नजर रहेगी. इसके लिए सरकार ने वेजिटेबल ऑयल प्रोडक्शन एंड अवेलेबिलिटी ऑर्डर (Vegetable Oil Production and Availability Order) 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है. इस ड्राफ्ट पर सभी हितधारकों से 11 जुलाई तक सुझाव मांगे गए हैं. सरकार का मकसद है कि इस ऑर्डर के जरिए बाजार में पारदर्शिता आए और जमाखोरी जैसी गतिविधियों पर रोक लगे. इसके साथ ही, सरकार जल्द ही खाद्य तेलों के लिए मानक पैक साइज को फिर से लागू करने की योजना बना रही है, ताकि ग्राहकों को ठगने की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके.
सरकार ने साफ कर दिया है कि अब खाद्य तेल बनाने वाली कंपनियों को अपने उत्पादन, बिक्री और स्टॉक का पूरा ब्योरा हर महीने देना होगा. पहले कंपनियां इस तरह का डाटा सरकार को नहीं दे रही थीं, जिसके चलते सरकार को बाजार में तेल की उपलब्धता और कीमतों का सही आकलन करने में दिक्कत हो रही थी. अब नया ऑर्डर लागू होने के बाद कंपनियों को आयात और निर्यात का डाटा भी देना होगा. अगर कोई कंपनी इस नियम का पालन नहीं करती, तो सरकार सख्त कार्रवाई कर सकती है. इतना ही नहीं, सरकार कंपनियों के प्लांट में जाकर उत्पादन की जांच भी कर सकती है.
खाद्य तेल की कीमतों में हेरफेर और ग्राहकों को ठगने की शिकायतों के बाद सरकार पैकेजिंग नियमों को फिर से सख्त करने जा रही है. साल 2022 में कानूनी मापविज्ञान नियमों में ढील दी गई थी, जिसके बाद व्यापारियों ने बाजार में 800 ग्राम, 810 ग्राम या 850 ग्राम जैसे अनियमित साइज के पैक बेचने शुरू कर दिए. इन पैक को एक किलो के पैक के रूप में बेचकर ग्राहकों से पूरी कीमत वसूली जा रही थी. इससे ग्राहकों में भ्रम की स्थिति बन गई और उनका भरोसा टूटने लगा.
अब सरकार की योजना है कि 500 ग्राम, 1 किलो, 2 किलो और 5 किलो जैसे मानक पैक साइज को फिर से अनिवार्य किया जाए. एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि अनियमित पैक साइज की वजह से ग्राहकों को समझने में दिक्कत हो रही है कि वे कितना तेल खरीद रहे हैं और उसकी कीमत कितनी होनी चाहिए. मानक पैक साइज लागू होने से कीमतों में हेरफेर पर रोक लगेगी और बाजार में पारदर्शिता आएगी.
भारत में खाद्य तेल की खपत हर साल बढ़ रही है. 2020-21 में ये 24.6 मिलियन टन थी, जो 2022-23 में बढ़कर 28.9 मिलियन टन हो गई. इस बढ़ती मांग के साथ कीमतों में भी तेज उछाल देखने को मिला है. उदाहरण के लिए, सरसों तेल की कीमत पिछले साल 135.50 रुपये प्रति किलो थी, जो अब 170.66 रुपये हो गई है. इसी तरह, सोया तेल 123.61 रुपये से बढ़कर 147.04 रुपये, सूरजमुखी तेल 123.17 रुपये से 160.77 रुपये और पाम तेल 101 रुपये से 135.04 रुपये प्रति किलो हो गया है. मूंगफली तेल की कीमत लगभग स्थिर रही है, लेकिन वनस्पति की कीमत भी 126.40 रुपये से बढ़कर 154.71 रुपये प्रति किलो हो गई है. इन बढ़ती कीमतों और अनियमित पैक साइज की वजह से उपभोक्ताओं को नुकसान हो रहा था. सरकार का मानना है कि नए नियमों से न सिर्फ कीमतों पर काबू पाया जा सकेगा, बल्कि ग्राहकों का भरोसा भी वापस जीता जा सकेगा.
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