
उज्जैन: धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक परंपरा के वैश्विक मंच पर महाकाल (Mahakal) की नगरी एक बार फिर अपना परचम लहरा रही है. यहां श्रद्धा, परंपरा और अनुशासन ने मिलकर एक नया इतिहास रच दिया. उज्जैन (Ujjain) स्थित प्राचीन संतोषी माता मंदिर (Santoshi Mata Temple) में ऐसा अद्भुत आयोजन हुआ, जिसने न सिर्फ प्रदेश बल्कि देशभर का ध्यान अपनी ओर खींचा. माता संतोषी की खटाई रहित भोग परंपरा (Offering Tradition) को आधार बनाकर पहली बार 173 अलग-अलग प्रकार के व्यंजनों का विशाल महाभोग अर्पित किया गया.
खास बात यह रही कि सभी व्यंजन बिना किसी खट्टे पदार्थ के तैयार किए गए, जो माता की आस्था से जुड़ी सदियों पुरानी मान्यता का पालन करता है. यह आयोजन धार्मिक मर्यादाओं के साथ-साथ सांस्कृतिक अनुशासन का भी अद्भुत उदाहरण बना. इस भव्य आयोजन को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने आधिकारिक मान्यता दी, जिसके बाद संतोषी माता मंदिर का नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की सूची में दर्ज हो गया.
रिकॉर्ड की घोषणा होते ही मंदिर परिसर उत्सव में बदल गया. ढोल-नगाड़ों की गूंज, भव्य आरती, आतिशबाजी और जयकारों के बीच श्रद्धालुओं ने इस ऐतिहासिक क्षण को साक्षी भाव से देखा. यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि उज्जैन की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक पहचान दिलाने वाला क्षण भी साबित हुआ. इससे पहले महाकाल मंदिर, चामुंडा माता मंदिर और शिप्रा दीपोत्सव जैसे आयोजन उज्जैन को वर्ल्ड रिकॉर्ड्स तक पहुंचा चुके हैं. अब इस सूची में संतोषी माता मंदिर का नाम भी जुड़ गया है.
संतोषी माता को खटाई रहित भोग अर्पित करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. मंदिर के मुख्य पुजारी मनोज पुरी गोस्वामी के अनुसार माता को प्रसन्न करने के लिए खट्टे पदार्थों का त्याग किया जाता है. इसी धार्मिक अनुशासन को और भव्य रूप देने के लिए इस बार 173 अलग-अलग प्रकार के व्यंजन तैयार किए गए. यह पहली बार था जब इतनी बड़ी संख्या में बिना खटाई के पकवान एक साथ माता को अर्पित किए गए.
शुक्रवार रात विशेष धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया गया. वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा-अर्चना, हवन और महाआरती संपन्न हुई. इसके बाद माता के गर्भगृह में 173 प्रकार के व्यंजनों का महाभोग अर्पित किया गया. व्यंजनों की साज-सज्जा और प्रस्तुति श्रद्धालुओं के लिए अद्भुत दृश्य बन गई. पूरे मंदिर परिसर में भक्तिमय वातावरण बना रहा.
रिकॉर्ड की पुष्टि के लिए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की टीम विशेष रूप से उज्जैन पहुंची. टीम के प्रतिनिधि मनीष विश्नोई ने सभी व्यंजनों की गिनती, श्रेणी और नियमों के अनुसार जांच की. सत्यापन के बाद संतोषी माता मंदिर के नाम आधिकारिक प्रमाण पत्र जारी किया गया. यह पल मंदिर समिति और श्रद्धालुओं के लिए गौरव का क्षण रहा.
गौरतलब है कि उज्जैन पहले भी कई वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का गवाह बन चुका है. महाकाल मंदिर के भस्म आरती आयोजन, चामुंडा माता मंदिर और शिप्रा नदी पर दीपोत्सव पहले ही वैश्विक पहचान बना चुके हैं. अब संतोषी माता मंदिर भी इस गौरवशाली परंपरा का हिस्सा बन गया है.
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