
नई दिल्ली । जीएसटी काउंसिल (GST Council) एयर और वाटर फ्यूरीफायर पर (On Air and Water Purifiers) टैक्स 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर सकती है (May reduce Tax from 18 percent to 5 percent) ।
कई रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से जानकारी दी गई कि सरकार इन दोनों उत्पादों का वर्गीकरण कंज्यूमर गुड्स से बदलकर जरूरी उत्पादों में करने पर विचार कर रही है। अगर ऐसा होता है तो एयर और वाटर फ्यूरीफायर की अफोर्डेबिलिटी में इजाफा होगा और इनकी कीमतें 10-15 प्रतिशत तक नीचे आएंगी, जिससे बड़ी संख्या में लोग इन उत्पादों को आसानी से खरीद पाएंगे। रिपोर्ट्स में कहा गया कि फिलहाल जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक की तारीख तय नहीं है। इससे पहले जीएसटी काउंसिल की आखिरी 56वीं बैठक सितंबर में हुई थी। उस दौरान इन उत्पादों पर दरों को अपरिवर्तित रखा गया था।
हाल ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकार से कहा था कि दिल्ली एनसीआर की वायु गुणवत्ता को देखते हुए अगर जरूरी हो तो वर्चुअल बैठक के माध्यम से ही एयर फ्यूरीफायर पर टैक्स को घटाया जाए या फिर समाप्त कर दिया जाए। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन ने अदालत को बताया और तर्क दिया कि बैठकें आमने-सामने होनी चाहिए। साथ ही कहा, “एक प्रक्रिया चल रही है लेकिन हम यह नहीं कह रहे कि यह किया जाएगा या नहीं।”
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि नागरिकों के लिए स्वच्छ हवा सुनिश्चित नहीं की जा सकती, तो कम से कम एयर प्यूरीफायर पर जीएसटी को कम किया जाना चाहिए। अदालत ने यह बयान एयर प्यूरीफायर को चिकित्सा उपकरण की श्रेणी में घोषित करने की मांग वाली जनहित याचिका (पीएलआई) पर सुनवाई के दौरान दिया और उसने केंद्र को अस्थायी जीएसटी छूट देने के संबंध में तत्काल निर्देश जारी करने को कहा था। जनहित याचिका के अनुसार, उच्च दक्षता वाले एयर प्यूरीफायर पीएम 2.5, पीएम 10 और अन्य खतरनाक प्रदूषकों के संपर्क को कम करके निवारक चिकित्सा भूमिका निभाते हैं।
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