
नई दिल्ली। वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञों ने जीएसटी (GST) सुधारों को विकास के लिए सकारात्मक बताया। उनका मानना है कि यह अमेरिकी टैरिफ (US Tariffs) से होने वाले कुछ नुकसान की भरपाई कर सकता है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) के एमडी और सीईओ ने सुधारों को एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि इन सुधारों से निश्चित रूप से आर्थिक विकास दर (Economic Growth Rate) में और भी सुधार होगा।
उन्होंने कहा कि जीएसटी सुधारों से नागरिकों और व्यवसायों पर समग्र कर का बोझ कम होगा। इससे लाभप्रदता, उत्पादकता और निवेश को बढ़ावा मिलेगा, जो भारत की आर्थिक वृद्धि को गति प्रदान करते हैं। उनका यह भी मानना है कि इससे संरचनाओं को सरल बनाकर व औपचारिक अर्थव्यवस्था में व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करके कर अनुपालन को मजबूत किया जा सकेगा। चौहान ने कहा कि पूंजी बाजार इन कदमों का स्वागत करता है और भारत की विकास यात्रा के अगले चरण में सहयोग देने के लिए तैयार है।
कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध निदेशक ने जीएसटी स्लैब और दर युक्तिकरण के साथ-साथ प्रक्रिया में सुधार को सही दिशा में उठाया गया कदम बताया। शाह ने कहा कि जीएसटी की नवीनतम घोषणा से मुद्रास्फीति कम हुई है, विकास बढ़ा है, उपभोक्ता भावना में सुधार हुआ है, राजकोषीय समेकन का मार्ग बाधित नहीं हुआ है, व्यापार करने में आसानी हुई है और टैरिफ के प्रतिकूल प्रभावों में आंशिक रूप से कमी आई है।
आईसीआरए लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री का भी मानना है कि जीएसटी सुधार, उभरते अमेरिकी टैरिफ के नकारात्मक प्रभाव के एक हिस्से को कम करने में मदद करेंगे। नायर ने सुझाव दिया कि केन्द्र और राज्यों द्वारा छोड़े गए किसी भी राजस्व की भरपाई अन्य राजस्व स्रोतों या व्यय को युक्तिसंगत बनाकर प्रभावी रूप से की जानी चाहिए।
सरकार का अनुमान है कि जीएसटी दर में कटौती से सरकार के खजाने पर शुद्ध रूप से 48,000 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ेगा।नायर ने कहा कि त्यौहारी अवधि की शुरुआत में जीएसटी युक्तिकरण के अपेक्षा से पहले कार्यान्वयन को देखते हुए, इस वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में मामूली राजस्व की हानि होने की संभावना है। इसके लिए अन्य राजस्व जुटाने या व्यय-बचत उपायों की आवश्यकता होगी।
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