
नई दिल्ली. देश की आर्थिक दिशा पर अहम संकेत देते हुए एसबीआई रिसर्च (SBI research) ने कहा है कि वित्त वर्ष 2026 (FY26) में जीएसटी (GST) से होने वाली आय सरकार के बजटीय अनुमानों से ज्यादा होगी। रिपोर्ट के अनुसार, राज्यों में कर दरों के पुनर्गठन के बाद भी जीएसटी से होने वाला कुल राजस्व मजबूत स्थिति में रहेगा। यह भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में कर प्रणाली की स्थिरता का संकेत देता है।
जानें राज्यों की स्थिति
सितंबर 2025 में लागू किए गए जीएसटी दर पुनर्गठन के तहत अब चार स्तर की संरचना लागू है। शून्य प्रतिशत, पांच प्रतिशत, 18 और 40 फीसद। रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र को इस बदलाव से करीब छह प्रतिशत का लाभ होगा, जबकि कर्नाटक को 10.7 फीसद तक की बढ़ोतरी मिलेगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि दरों के पुनर्गठन के बाद कुल मिलाकर राज्य नेट गेनर यानी लाभार्थी रहेंगे।
पूर्व आंकड़ों से मिला भरोसा
एसबीआई रिसर्च ने अपने विश्लेषण में जुलाई 2018 और अक्टूबर 2019 के जीएसटी दर संशोधन के अनुभवों को भी जोड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार, दरों में बदलाव के बाद शुरुआती महीनों में तीन से चार प्रतिशत की अस्थायी गिरावट देखने को मिलती है, लेकिन इसके बाद राजस्व में लगातार पांच से छह प्रतिशत मासिक वृद्धि होती है। अनुमान के मुताबिक, यह सुधार सालाना एक लाख करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त आमदनी में बदल सकता है।
मौजूदा जीएसटी आंकड़े
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2025 में जीएसटी संग्रह 4.6% बढ़कर 1.95 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो पिछले साल इसी महीने में 1.87 लाख करोड़ रुपये था। अप्रैल से अक्तूबर 2025 तक कुल संग्रह नौ प्रतिशत की वृद्धि के साथ 13.89 लाख करोड़ रुपये दर्ज किया गया है। इस अवधि में सेंट्रल जीएसटी, स्टेट जीएसटी और इंटीग्रेटेड जीएसटी सभी में बढ़ोतरी देखी गई, जबकि सेस कलेक्शन में मामूली कमी आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रवृत्ति जारी रही तो आगामी महीनों में सरकार का राजस्व और मजबूत हो सकता है।
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