
पुणे: महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेन बैरे सिंड्रोम के मामलों में तेजी से हो रही बढ़ोतरी ने राज्य की चिंता बढ़ा दी है. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गुइलेन बैरे सिंड्रोम के संदिग्ध और पुष्टि किए गए मामलों में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और प्रबंधन के लिए राज्य स्वास्थ्य अधिकारियों का समर्थन करने के लिए एक उच्च स्तरीय बहु-विषयक टीम को पुणे में तैनात किया है.
इस केंद्रीय टीम में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र दिल्ली, एनआईएमएचएएनएस बेंगलुरु, क्षेत्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण कार्यालय और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान पुणे के सात विशेषज्ञ शामिल हैं. एनआईवी पुणे के तीन विशेषज्ञ पहले से ही स्थानीय अधिकारियों की सहायता कर रहे थे, लेकिन अब केंद्रीय टीम का दायरा बढ़ा दिया गया है ताकि इस स्वास्थ्य संकट से जल्द से जल्द निपटने के लिए ज्यादा प्रभावी रणनीति बनाई जा सके.
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ तंत्रिका तंत्र विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही परिधीय तंत्रिकाओं पर हमला करती है. इसके परिणामस्वरूप मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता और कभी-कभी पैरालिसिस हो सकता है. हालांकि इस बीमारी का शुरुआती उपचार करने पर इसे आमतौर पर कंट्रोल किया जा सकता है और ज्यादातर मरीजों में 2-3 सप्ताह के अंदर सुधार दिखने लगता है. जबकि कुछ मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं. वहीं कुछ मामलों में लंबे समय तक कमजोरी की शिकायत बनी रह सकती है.
महाराष्ट्र के पुणे में बीते कई दिनों से लगातार गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के केस सामने आ रहे हैं. जानकारी के अनुसार अब तक इसके 100 से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं. ये एक न्यूरोलॉजिकल डिजीज है, जिसकी वजह से कमजोरी तकलीफ सुन्नपन लोगों को हो रहा है.
स्थिति को नियंत्रण में रखने और करीब से निगरानी करने के लिए अब टीम राज्य स्वास्थ्य विभागों के साथ मिलकर काम करेगी और जमीनी स्थिति का जायजा लेग. इसके बाद जरूरी सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की सिफारिश की जाएगी. मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय स्थिति की निगरानी कर रहा है और राज्य के साथ समन्वय करके सक्रिय कदम उठा रहा है.
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