
नई दिल्ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी (Guru Gobind Singh ji) कृपा और आदर्शों के लिए बलिदान के प्रतीक थे (Was symbol of Sacrifice for Grace and Ideals) । उन्होंने शनिवार को श्री गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं ।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में मुर्मू ने लिखा, “श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के पवित्र अवसर पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। उन्होंने अदम्य साहस और असाधारण समझदारी से लोगों को सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया, अपने अनुयायियों को एक ऐसी ताकत में बदल दिया जो न्याय और आत्म-सम्मान के आदर्शों की रक्षा के जोश से प्रेरित होकर कहीं ज्यादा शक्तिशाली दुश्मनों का बहादुरी से सामना कर सके।” राष्ट्रपति ने आगे कहा कि वे मुश्किलों के बीच कृपा और आदर्शों के लिए बलिदान के प्रतीक थे। एकता, करुणा और सभी के प्रति सम्मान पर आधारित एक सामंजस्यपूर्ण समाज बनाने की उनकी शिक्षाएं मानवता का मार्गदर्शन करती रहें। उन्होंने दसवें सिख गुरु के अदम्य साहस, ज्ञान और न्याय, धर्म और मानवीय गरिमा के प्रति आजीवन समर्पण को याद किया ।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पोस्ट में लिखा, “सिख धर्म के दशम गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। अन्याय के विरुद्ध संघर्ष, अत्याचार का प्रतिकार तथा मानवता की रक्षा के प्रतीक गुरु गोबिंद सिंह जी ने धर्म और संस्कृति के लिए अपने चारों पुत्रों तथा माता गुजरी जी सहित स्वयं का सर्वोच्च बलिदान दिया। मानव इतिहास में ऐसे अद्वितीय त्याग के कारण वे ‘सरबंसदानी’ कहलाए।” उन्होंने आगे लिखा, “खालसा पंथ की स्थापना के माध्यम से सिख धर्म को सेवा के साथ-साथ रक्षा का सशक्त स्तंभ बनाने वाले गुरु साहिब के पंच प्यारे देशभर में मानव समाज की सुरक्षा के पर्याय बन गए।”
गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें और अंतिम गुरु थे। पटना साहिब वह पवित्र स्थल है, जहां 1666 में गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की, जो साहस, समानता और न्याय का प्रतीक बना। मुगल अत्याचारों के खिलाफ उन्होंने योद्धा बनकर संघर्ष किया और पांच प्यारों को अमृत छकाकर खालसा का जन्म दिया।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved