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Guru Nanak Dev : गुरु नानक देव की सीख, ‘मन को जीत कर ही दुनिया जीती जा सकती है’

September 21, 2023

नई दिल्‍ली (New Dehli) । गुरु नानक (Guru Nanak)जी को शांति और सेवा के प्रतीक (Sign )के रूप में देखा जाता है. गुरु नानक जी को शांति (Calmness)और सेवा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.

 

गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev) का जन्म रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी (Talwandi) नामक गांव में कार्तिक पूर्णिमा को एक खत्री परिवार में हुआ था. तलवंडी पाकिस्तान में पंजाब प्रान्त (Punjab) का एक शहर है. इनके पिता का नाम मेहता कालूचंद खत्री और माता का नाम तृप्ता देवी था. तलवंडी का नाम आगे चलकर नानक के नाम पर ननकाना पड़ गया. सिख धर्म की शुरुआत सिख धर्म के सबसे पहले गुरु और सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव द्वारा की गई. दस सिख गुरुओं में ये सबसे पहले गुरु थे. गुरुनानक देव का जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा के दिन को गुरुनानक जयंती और प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता हैं.


उन्होंने अपना पूरा जीवन हिन्दू और इस्लाम धर्म की उन अच्छी बातों के प्रचार में लगाया जो समस्त मानव समाज के लिए कल्याणकारी हैं. उन्होंने सभी को अपने धर्म का उपदेश दिया. गुरु नानक को शांति और सेवा के प्रतीक के रूप में देखा जाता हैं. उनकी शिक्षाएं गुणवत्ता, अच्छाई और पौरुष के सिद्धांतों पर आधारित हैं. उनके स्वचरित पवित्र पद और शिक्षाएं (बानियां) सिखों के धर्मग्रन्थ ‘ग्रन्थ साहिब’ में संकलित हैं. उन्होंने करतारपुर नामक एक नगर बसाया और एक बड़ी धर्मशाला उसमें बनवाई. ये स्थान अब पाकिस्तान में है.

गुरु नानक के बारे में कुछ रोचक तथ्य
गुरु नानक का जन्म हिंदू माता-पिता से हुआ था, हालांकि उनका मानना था कि वे न तो हिंदू है और न ही मुस्लिम. 18 साल की उम्र में गुरु नानक ने 24 सितंबर, 1487 को सुलक्खनी (Sulakkhani) से शादी की. उनके दो बेटे थे श्री चंद और लक्ष्मी चंद.

नानक जब कुछ बड़े हुए तो उन्हें पढ़ने के लिए पाठशाला भेजा गया. उनकी सहज बुद्धि बहुत तेज थी. वे कभी-कभी अपने शिक्षको से विचित्र सवाल पूछ लेते जिनका जवाब उनके शिक्षको के पास भी नहीं होता. जैसे एक दिन शिक्षक ने नानक से पाटी पर अ लिखवाया. तब नानक ने अ तो लिख दिया, लेकिन शिक्षक से पूछा, गुरुजी! अ का क्या अर्थ होता है? यह सुनकर गुरुजी सोच में पड़ गए.
गुरु नानक बचपन से सांसारिक विषयों से उदासीन रहा करते थे. तत्पश्चात् सारा समय वे आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत करने लगे. गुरु नानक के बचपन के समय में कई चमत्कारिक घटनाएं घटी जिन्हें देखकर गांव के लोग इन्हें दिव्य व्यक्तित्व वाले मानने लगे.

गुरु नानक के पुत्र श्री चंद उदासी धर्म के संस्थापक बने. गुरु नानक ने सिख पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब की स्थापना की. गुरु नानक जीवन के अंतिम चरण में करतारपुर बस गए. उन्होंने 22 सितंबर, 1539 को अपना शरीर त्याग दिया. मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से जाने गए.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं.)

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