
गुरुग्राम । गुरुग्राम (Gurugram) के टिकली गांव (Tikli village) के राजकीय प्राथमिक स्कूल (Government Primary School) में चर्च निर्माण (Church construction) के विरोध में शुक्रवार को 18 गांवों की महांपचायत (Mahapanchayat) की। इसमें गांवों के सरपंच, पंच और धार्मिक संगठनों के पदाधिकारी और कई लोग पहुंचे। महांपचायत में सर्व सम्मति से फैसला हुआ कि गांव में चर्च नहीं बनने दिया जाएगा।
महापंचायत में 51 लोगों की समिति बनाई गई। यह समिति सोमवार को जिला उपायुक्त से मुलाकात करेगी। टिकली गांव में चर्च निर्माण के विरोध में हुई महापंचायत में विश्व हिंदू परिषद के विभाग मंत्री यशवंत शेखावत, जिलाध्यक्ष सुरेंद्र तंवर, सरपंच एकता मंच के अध्यक्ष व प्रांत सह सेवा प्रमुख अजीत सिंह, बार एसोसिएशन गुरुग्राम के पूर्व अध्यक्ष कुलभूषण भारद्वाज, जागरण मंच से भीम सिंह, राकेश नंबरदार, ब्रह्मदेव (पूर्व सरपंच), सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप नंबरदार, बांसगांव के सरपंच अशोक, बादशाहपुर से प्रदीप, सूरजभान जेलदार समेत कई सरपंच और ग्रामीण उपस्थित रहे।
पहले से चल रहा है निर्माण, डीसी से मुलाकात करेंगे 51 सदस्य
सभी ने संयुक्त रूप से चर्च निर्माण का विरोध दर्ज किया। इसे स्थानीय सामाजिक ताने-बाने पर संभावित प्रभाव डालने वाला विषय बताया। महापंचायत में सर्वसम्मति से 51 सदस्यीय समिति का गठन किया गया। जो सोमवार को जिला उपायुक्त से मुलाकात करके इस मामले में ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की जाएगी। ग्रामीणों की ओर से महापंचायत को बताया गया है कि सवा एकड़ पर ईसाई समुदाय द्वारा लंबे समय से चर्च निर्माण किया जा रहा था। आसपास के ग्रामीणों के विरोध के बाद चर्च प्रबंधन ने यह आश्वासन दिया था कि जब तक ग्रामवासियों की सहमति नहीं होगी, तब तक निर्माण कार्य नहीं होगा।
ईसाई नहीं तो चर्च की क्या आवश्यकता?
हाल ही में दोबारा निर्माण शुरू करने से गांव समेत आसपास के क्षेत्रों में व्यापक रोष उत्पन्न हो गया। इस गंभीर विषय पर विचार-विमर्श के उद्देश्य से महापंचायत बुलाई गई। इसमें लगभग 18 गांवों के सरपंच, पंच, नंबरदार, सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामीण प्रतिनिधियों ने भाग लिया। वक्ताओं ने इस मामले में चिंता व्यक्त की कि क्षेत्र में ईसाई समुदाय की संख्या न होने के बावजूद इतने बड़े पैमाने पर चर्च निर्माण की आवश्यकता उत्पन्न की जा रही है।
धर्मांतरण का जताया शक
इस दौरान उपस्थित प्रतिनिधियों की ओर से आशंका व्यक्त की गई कि यह गतिविधियां सामाजिक संरचना को प्रभावित करने और धर्मांतरण को प्रोत्साहित करने की दिशा में कदम हो सकती हैं। जो समाज में ठीक नहीं होगी। इसलिए वह गांव में चर्च का निर्माण नहीं होने देंगे।
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