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आंकड़ों की मौत मारी गईं हसीना

August 06, 2024

बाहर बेलबूटा…अंदर पैंदा फूटा…शांति से लेकर मजबूत आर्थिक स्थिति के फर्जी आंकड़े बटोरते बांग्लादेश में बेरोजगारी बढ़ रही थी…अशांति पनप रही थी…विद्रोह और बगावत की चिंगारियां भडक़ रही थीं… अपनों-अपनों को बांटने और देश में अस्थिरता बढ़ाने के बावजूद लगातार जीतने के अहंकार में डूबीं शेख हसीना की शेखी मात्र 15 दिनों में इस तरह निकली कि 15 साल की सत्ता का सत्यानाश हो गया…भागने के लिए एक घंटा भी नहीं मिला…ठिकाने की खोज में भटकती हसीना दयालु देश भारत के किनारे जा लगीं… लेकिन अब कहां जाएं, कौन रखे इसका भरोसा तक नहीं मिला, क्योंकि ऐसा कभी सोचा ही नहीं था…हालातों को समझा ही नहीं था…इसीलिए न कोई व्यवस्था जुटाई, न भविष्य की योजना बनाई… जहां से चली थीं वहां वापस लौटकर आईं… तब देश जाने के लिए भारत ही ठिकाना बना था…अब देश छोडऩे के लिए भी हमारी ही दहलीज मिली…लेकिन यह हालत हंसने के लिए नहीं है, समझने के लिए है…जो बांग्लादेश में हुआ वही भारत में हो रहा है…देश आंकड़ों की उड़़ान भर रहा है…जीडीपी बढ़ती जा रही है…बेरोजगारी घटती जा रही है… सुरक्षा के नाम पर हम छलांग लगा रहे हैं…विदेशी मुद्रा के भंडार बढ़ते जा रहे हैं…उद्योगों की कतारें लग रही हैं…प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है, लेकिन हकीकत यह है कि यह सब आंकड़ों की कागजी छलांग है…जीडीपी कागज पर नजर आ रही है, लेकिन विकास की यह गति आम लोगों में नजर नहीं आ रही है…रोजगार कागजों पर नजर आ रहे हैं, लेकिन हजार पदों की भर्ती के लिए 1 लाख लोग कतार लगा रहे हैं… विदेशी मुद्रा के भंडार बढ़ते जा रहे हैं, क्योंकि देश के लोगों को लुभा-बहलाकर हम शेयर बाजार में पैसा लगवा रहे हैं…विदेशियों को सब्जबाग दिखाकर निवेश करा रहे हैं…शांति और स्थिरता के नारे लगा रहे हैं, लेकिन कश्मीर में हमारे फौजी मारे जा रहे हैं…चीनी सीमा पर जान गंवा रहे हैं…हम चारों तरफ अशांत देशों से घिरे जा रहे हैं…सरहदों पर यह हालत है तो आंतरिक स्थिति भी इस तरह खराब है कि यहां भी नफरत का ज्वालामुखी पनप रहा है और फटने का इंतजार कर रहा है…नफरत की इस सीढ़ी पर सत्ता का दरबार सज रहा है… विपक्षी जेलों में ठूंसे जा रहे हैं… विरोधी बिलबिला रहे हैं…सबके सब मौका ताड़ रहे हैं…नीरो इसीलिए बंसी जा रहा है कि देश का लोकतंत्र मजबूत है… फौजी यहां बगावत नहीं कर सकते और विपक्षी बिना बहुमत के सत्ता पर नहीं चढ़ सकते… लिहाजा वोट की चोट से आहत विरोधी नारे लगाते हैं… प्रदर्शन आजमाते हैं, फिर मौन हो जाते है…लेकिन हालात समझना होंगे… भारत अशांत देशों से घिरा है और देश आक्रांत लोगों से… सरहदों पर तख्तापलट हो रहा है और भीतर मन-पलट चल रहा है…देश में खैरात बंटना बंद होना चाहिए…आरक्षण का भक्षण घटना चाहिए…विकास जनता तक पहुंचना चाहिए… अमीरों की जीडीपी के बजाय गरीबों की फटेहाली पर ध्यान धरना चाहिए…विपक्षी को भी सुनना-समझना चाहिए…उनकी एल-फेल बकवास का फैसला तो जनता करेगी, लेकिन सत्तापक्ष का बड़प्पन और देश का लोकतंत्र तो दिखना चाहिए… हसीना की हालत चाहे जो हो, लेकिन सबक तो हमको भी सीखना चाहिए…

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