
नई दिल्ली। राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) ने चुनाव आयोग (Election Commission) पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि यह संस्था अब मोदी सरकार (Modi Goverment) की कठपुतली (Puppet) बन चुकी है। उन्होंने बिहार (Bihar) में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (Special Intensive Revision Process) को असंवैधानिक (Unconstitutional) बताया और दावा किया कि यह प्रक्रिया बहुसंख्यकवादी (Majoritarian) सरकारों को सत्ता में बनाए रखने का प्रयास है।
पूर्व कानून मंत्री सिब्बल ने एक साक्षात्कार में कहा कि चुनाव आयोग को नागरिकता तय करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी ब्लॉक स्तर के अधिकारी के माध्यम से यह तय करना कि कौन नागरिक है और कौन नहीं, संविधान का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया गरीब, दलित और आदिवासी वोटरों के नाम हटाकर बहुसंख्यक सरकार के पक्ष में चुनाव परिणाम तय करने का तरीका है।
कपिल सिब्बल ने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से चुनाव आयोग की निष्पक्षता खत्म होती गई है। उनका कहना है कि हर नया चुनाव आयुक्त अपने पूर्ववर्ती से भी अधिक सरकार के अनुकूल काम करता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब से यह सरकार आई है, आयोग की स्वतंत्रता पर विश्वास करना मुश्किल हो गया है।
जब उनसे सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम टिप्पणियों पर सवाल किया गया तो सिब्बल ने कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्होंने कहा कि वे खुद इस मामले में अधिवक्ता हैं, इसलिए कोर्ट के निर्देशों पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि चुनाव आयोग कोर्ट की बातों को गंभीरता से लेगा और विवाद को आगे नहीं बढ़ने देगा।
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