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‘जी राम जी’ विधेयक पर संसद में जोरदार बहस, कांग्रेस का BJP पर गरीब विरोधी होने का आरोप, पप्पू यादव भी बरसे

December 18, 2025

नई दिल्‍ली । संसद (Parliament) के शीतकालीन सत्र में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना Rural Employment Guarantee Scheme() को लेकर जोरदार बहस छिड़ गई है। केंद्र सरकार ने 16 दिसंबर 2025 को लोकसभा में VB-G RAM G विधेयक 2025 पेश किया, जो 2005 के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह लेगा। इसको लेकर सदन से लेकर सड़क तक सियासत हो रही है। आरोप-प्रत्यारोप का दौरान जारी है। दूसरी ओर इस मुद्दे पर विपक्ष ने मोदी सरकार को गरीब और किसान विरोधी बताते हुए आरोप लगाया है कि उसने ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की गारंटी और समानता को बढ़ावा देने वाली मनरेगा को पहले कमजोर किया और अब पूरी तरह खत्म करने का अपराध किया है, जिसके लिए देश का गरीब उसे कभी माफ नहीं करेगा।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सेल्वाराज वी ने कहा कि गरीबों के पास भोजन नहीं है, काम न मिलने से वे क्या खाएंगे, उनके पास पैसे नहीं हैं, काम न मिलने से वे कपड़े, चप्पलें और दवाइयां कैसे खरीदेंगे? बच्चों के लिए दूध नहीं है, मां रोएंगी। उन्होंने पूछा कि गरीबों से रोजगार की गारंटी छीनकर सरकार क्या संदेश देना चाहती है, इसे लाने वालों के दिल में गरीबों के लिए प्रेम नहीं है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक गरीबों के हितों के पूरी तरह खिलाफ है, वे इसका विरोध करते हैं।

वहीं, कांग्रेस के बेन्नी बेहनान ने कहा कि इस तरह का विधेयक लाना भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एजेंडा है। गांधीजी गरीबों के बारे में सोचते थे, राष्ट्रपिता की सोच के अनुरूप ही कांग्रेस सरकार ने मनरेगा कानून लाया था, जिसे यह सरकार खत्म कर रही है। गरीब देख रहे हैं, वे माफ नहीं करेंगे।

शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि मनरेगा को समाप्त करने के बाद सरकार गरीबों को चैरिटी पर ला रही है। केंद्र सरकार धीरे-धीरे राज्यों को धन देना कम करती जा रही है। नए विधेयक के प्रावधान के अनुसार 40 प्रतिशत राशि राज्यों को खर्च करनी होगी, पंजाब जैसे राज्य में पहले से ही पैसा नहीं है, वह कैसे इस योजना के तहत धन दे पाएंगे। पंजाब के गरीबों को काम कैसे मिलेगा। वे इस विधेयक का विरोध करती हैं।


भाजपा के राजकुमार चाहर ने कहा कि सरकार ने यह विधेयक लाकर अच्छा काम किया है। अब गरीबों को 100 के बजाय 125 दिनों का काम मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकसित भारत का सपना पूरा करने में यह विधेयक सहायक होगा।

समाजवादी पार्टी की रुचि वीरा ने कहा कि शब्द बदलने से हकीकत नहीं बदलती, सरकार ने इस विधेयक का नाम बदलकर सच्चाई नहीं बदल सकती। अब गरीबों के लिए राज्यों को 40 प्रतिशत राशि देनी होगी, जिसे देने में वे सक्षम नहीं होंगे। इससे गरीबों का रोजगार मारा जाएगा। सरकार ने इस विधेयक में गांधीजी का नाम ही नहीं मिटाया है, उनके विचारों की भी हत्या की है।

नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड की लवली आनंद ने कहा कि नीतियों को समय के साथ विकसित होना जरूरी है। यह विधेयक मनरेगा को खत्म नहीं करता, उसे और बेहतर बनाने का प्रयास करता है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (लिबरेशन) के राजा राम सिंह ने कहा कि सरकार यह विधेयक लाकर गरीबों के लिए जवाबदेही लेने से इनकार कर रही है। मनरेगा गरीबों को उचित आमदनी का साधन है। वे गरीबों के लिए रोजगार को 200 दिन करने की मांग करते हैं।

कांग्रेस के प्रणीति शिंदे ने कहा कि सरकार महापुरुषों के नाम बदलना चाहती है, बदल दे, एक दिन जनता इस सरकार की सत्ता की घमंड को समाप्त कर देगी। मनरेगा कोविड काल में गरीबों को आजीविका का आधार बनी थी। यह विधेयक मनरेगा का विकल्प नहीं है।

तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि यह विधेयक मनरेगा को खत्म करने की खतरनाक साजिश है। गरीबों के लिए रोजगार के दिन 150 करने चाहिए। उन्होंने पश्चिम बंगाल के मनरेगा के बकाया पैसे देने की सरकार से मांग की।

आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मनरेगा को समाप्त करने से इस देश का गरीब भूखों मर जाएगा। यह सरकार तानाशाह की तरह शासन चलाना चाहती है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के लागू होने के बाद बिहार जैसे राज्यों से पलायन और बढ़ जाएगा।

वहीं निर्दलीय राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि महंगाई बढ़ गई है, ऐसे समय में मजदूरों-गरीबों से काम छीनने की साजिश की जा रही है। देश में 120 करोड़ लोग गरीब हैं, गरीबों को काम न मिलने से वे कैसे गुजारा कर पाएंगे। बिहार के सीमांचल, कोसी, मिथिलांचल से चार करोड़ लोग रोजी-रोटी के लिए पलायन करते हैं। गरीबों को काम न मिलने से पलायन बढ़ेगा। वे सरकार से आग्रह करते हैं कि गरीबों के अधिकारों को न छीना जाए।

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