
जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (former Chief Minister Vasundhara Raje) अपने तेज तर्राट अंदाज के लिए जाने जाती हैं। उनका यह अंदाज शनिवार को एक बार फिर देखने को मिला,जहां उन्होंने एक मंत्री को मंच से ही ताली न बजाने पर सुना दिया। अमर वीरांगना अहिल्याबाई होलकर (Brave Lady Ahilyabai Holkar) की त्रिशताब्दी जयंती के अवसर पर जयपुर में कार्यक्रम हो रहा था। यह मसला उसी कार्यक्रम के दौरान का है। इत्तेफाक से राजस्थान आए जेपी नड्डा भी वहीं मौजूद थे। अब इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
31 मई को राजस्थान की राजधानी जयपुर में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पधारे थे। प्रदेश के दौरे पर आए स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने अमर वीरांगना अहिल्याबाई होलकर जी की त्रिशताब्दी जयंती पर भी शामिल हुए। इस दौरान पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने बोलना शुरू किया। उन्होंने भाजपा के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं से जेपी नड्डा का स्वागत करने को कहा। उन्होंने सबसे कहा कि आप लोगों की तरफ से मैं नड्डा जी का स्वागत करना चाहूंगी। इसके लिए जोर से ताली बजाइए। इस दौरान वसुंधरा राजे ने वहां बैठे मंत्री से कहा कि ए मंत्री जी जरा जोर से ताली बजा दो… जोर से…। एक दफा नड्डा जी के लिए जोर से ताली बजा दो…। 29 सेकेंड के इस वीडियो को अब खूब वायरल किया जा रहा है।
इस वीडियो पर अब राजनीतिक दिलचस्पी रखने वाले लोगों के भी रिएक्शन सामने आए। एक यूजर ने लिखा कि वसुंधरा जी बहुत ताकतवर हैं। एक ने लिखा कि ठसक है..ठसक और जब तक महारानी जी राजनीति में रहेंगी,तब तक ठसक रहेगी। अन्य यूजर ने लिखा कि मंत्री जी अब बड़का नेता बन गए हैं ना तो अब यह ताली बजाने में नहीं बजवाने में विश्वास रखते हैं। एक और ने लिखा कि कौन मंत्री जी है जो ताली बजाने में कंजूसी कर रहे हैं?
वसुंधरा राजे ने कार्यक्रम के बहाने नारी शक्ति पर बोलते हुए कहा कि नारी हर जिम्मेदारी निभाने में निपुण है,चाहे वह राशन की हो या शासन की। अपने ऐतिहासिक कार्यकाल में मोदी सरकार ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम को मंजूरी दे कर पूज्या अहिल्याबाई होलकर जैसी वीरांगनाओं को सच्ची श्रद्धांजलि दी। अहिल्या बाई धर्म की रक्षक थीं और एक ऐसी शासक थीं ,जिन्होंने बद्रीनाथ से रामेश्वरम और द्वारिका से पुरी तक आक्रमणकारियों द्वारा क्षतिग्रस्त मंदिरों का पुनर्निर्माण किया। जिनमें काशी का विश्वनाथ मंदिर भी है। उनका यह योगदान उनकी धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत के प्रति समर्पण का प्रमाण है।
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