
जबलपुर। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय और मध्य प्रदेश शासन के कथित भेदभावपूर्ण रवैये पर उच्च न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाया है। बायो साइंस विभाग से सेवानिवृत्त हुईं डॉ. अंजना शर्मा द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायालय ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार सहित उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अनुपम राजन को अवमानना नोटिस जारी किए हैं। डॉ. अंजना शर्मा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के बायो साइंस विभाग से 30 अप्रैल 2021 को सेवानिवृत्त हुई थीं। याचिकाकर्ता का आरोप है कि सेवानिवृत्ति के साढ़े चार साल बीत जाने के बाद भी उन्हें पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य सभी सेवानिवृत्ति लाभ आज तक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं।याचिका में स्पष्ट किया गया कि डॉ. शर्मा के विरुद्ध न तो कोई आपराधिक विचारण लंबित था और न ही कोई विभागीय कार्रवाई, फिर भी उन्हें जानबूझकर उनके वैध अधिकारों से वंचित रखा गया।
कोर्ट के स्पष्ट आदेश की अवहेलना
याचिकाकर्ता की मूल याचिका पर सुनवाई करते हुए, उच्च न्यायालय ने 22 नवम्बर 2024 को राज्य शासन और विश्वविद्यालय प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि डॉ. शर्मा को तत्काल पेंशन और ग्रेच्युटी प्रदान की जाए। इसके बावजूद, जब न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया गया, तो डॉ. अंजना शर्मा ने अवमानना याचिका दायर की। आज सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने इसे न्यायिक आदेश की घोर अवहेलना मानते हुए गंभीरता से लिया और संबंधित अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किए।
महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया
अवमानना याचिका में डॉ. शर्मा की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि विश्वविद्यालय का यह व्यवहार भेदभावपूर्ण है। तर्क दिया गया कि उनके समकक्ष पुरुष प्रोफेसर, डॉ. वाईके बंसल और डॉ. पीके सिंघल, को महीनों पहले ही उनके सभी सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान कर दिए गए थे, जबकि उन्हें (एक महिला प्रोफेसर को) जानबूझकर उपेक्षित रखा गया। याचिकाकर्ता ने इसे महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण रवैये का स्पष्ट उदाहरण बताया है। अदालत ने नोटिस जारी कर संबंधित अधिकारियों से यह स्पष्टीकरण माँगा है कि उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेशों का पालन अब तक क्यों नहीं किया गया है। मामले की अगली सुनवाई में विश्वविद्यालय एवं शासन को इस संबंध में अनिवार्य रूप से अपना जवाब प्रस्तुत करना होगा।
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