
नई दिल्ली । पंजाब(Punjab) और हरियाणा हाई कोर्ट(haryana high court) ने कहा है कि अगर किसी सशस्त्र आतंकवादी(Armed terrorists) को बिना फायरिंग(Firing) के भी गिरफ्तार(arrested) किया जाता है तो इसे मुठभेड़ ही कहा जाएगा। पंजाब पुलिस में भर्तियों से जुड़े विवाद में हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि बिना फायरिंग के आतंकी को पकड़ना, सरकारी नीति को और ज्यादा मजबूत करता है।
जस्टिस जगमोहन बंसल ने 4 सितंबर को सोनम कंबोज नाम की अभ्यर्थी की याचिका स्वीकार की थी। सोनम कंबोच ने पुलिस विभाग में भर्ती के लिए आवेदन किया था। वहीं कंबोज ने पुलिसकर्मी के वॉर्ड के रूप में आरक्षण कैटिगरी में अप्लाई किया था। फॉर्म में दावा किया गया था कि उनके पिता ने तीन एनकाउंटर में हिस्सा लिया।
मामला 2021 की भर्तियां से जुड़ा है। पंजाब डीजीपी के द्वारा बनाई गई कमेटी ने कंबोज के दावे को रिजेक्ट कर दिया था। कमेटी का कहना था कि उनके पिता ने केवल दो एनकाउंटर में ही हिस्सा लिया। वहीं 1996 की नीति के मुताबिक तीन एनकाउंटर का दावा किया गया था। सरकार का कहना था कि तीन में से एक एफआईआर एनकाउंटर से जुड़ी नहीं थी क्योंकि उस समय कोई गोली नहीं चली थी। हालांकि आतंकी को गिरफ्तार कर लिया गया था।
राज्य सरकार के मुताबिक एनकाउंटर का मतलब आतंकी और पुलिस के बीच गोली चलना ही है। इसके अलावा इसमें किसी का घायल होना या फिर मारा जाना भी जरूरी है। हाई कोर्ट ने कहा कि इस नीति का उद्देश्य बहादुर पुलिसकर्मियों का उत्साहवर्धन था। अगर किसी आतंकवादी को मारा नहीं जाता और ना ही गोली चलती है, तब भी उसकी गिरफ्तारी की गिनती मुठभेड़ में हो सकती है।
कोर्ट ने कहा, पुलिस पार्टी बना फायरिंग के ही चार आतंकियों को गिरफ्तार करने में सफल हुई थी। इसके अलावा आतंकियों के पास से संदिग्ध सामान भी बरामद हुआ था। ऐसे में इसे भी मुठभेड़ में ही गिना जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि 6 सप्ताह के अंदर ही याचिकाकर्ता को पुलिस की नौकरी दी जाए।
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