शिमला। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में स्वास्थ्य सुरक्षा व विनियमन विभाग के असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर निशांत सरीन (Assistant Drug Controller, Nishant Sarin) का भ्रष्टाचार जाल आखिरकार ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की गिरफ्त में आ गया है। ईडी सरीन को आय से अधिक संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर चुकी है। जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि सरीन 13 फार्मा कंपनियों से करोड़ों रुपये के लाभ उठा रहा था। इनमें कैश, होटल बुकिंग, महंगे उपहार और अन्य सुविधाएं शामिल थीं। सरीन ने अपने पद का दुरुपयोग कर फर्जी कंपनियों के माध्यम से इन पैसों को वैध दिखाने का भी प्रयास किया। उनके खिलाफ हिमाचल और हरियाणा पुलिस में पहले से कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
इसके बाद हरियाणा पुलिस ने वर्ष 2022 थाना सेक्टर-20 पंचकूला में विभिन्न आपराधिक धाराओं में एफआईआर दर्ज की। इसमें सरीन पर अपने सहयोगियों डॉ. कोमल खन्ना, विनय अग्रवाल और अन्य के साथ मिलकर धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश के गंभीर आरोप लगे। शिकायतकर्ता जगबीर सिंह ने आरोप लगाया कि सरीन ने उन्हें दबाव डालकर ज़ेनिया फ़ार्मास्यूटिकल्स में डॉ. कोमल खन्ना के साथ साझेदारी करने को मजबूर किया और बाद में उनके शेयर 50 प्रतिशत से घटाकर मात्र 5 प्रतिशत कर दिए गए।
हाल ही में 23 सितंबर 2025 को स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो शिमला ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें उन पर 1.66 करोड़ रुपये से अधिक की असमानुपातिक संपत्ति रखने का आरोप लगाया गया। जांच में यह भी सामने आया कि सरीन ने 2019 के बाद कई महंगी संपत्तियां अर्जित कीं, जिनमें चंडीगढ़ की ओमैक्स सोसाइटी में संपत्ति भी शामिल है। इन मामलों के आधार पर ईडी ने 31 मार्च 2023 को केस दर्ज किया था, जिसे बाद में उपरोक्त तीनों एफआईआर के साथ एकीकृत कर दिया गया।
ईडी की विस्तृत जांच में सामने आया कि सरीन ने अपने पद का दुरुपयोग कर 13 फार्मा कंपनियों से होटल बुकिंग, कैश, महंगे उपहार और अन्य सुविधाओं के रूप में लगभग 1.06 करोड़ रुपये की रिश्वत ली। कई फार्मा प्रतिनिधियों ने ईडी को दिए बयानों में यह स्वीकार किया कि सरीन द्वारा उत्पीड़न के डर से उन्होंने ये लाभ दिए। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि डॉ. कोमल खन्ना, सरीन की करीबी सहयोगी, उनकी हिदायतों पर ज़ेनिया फ़ार्मास्यूटिकल्स और निया फार्मा जैसी कंपनियों को चला रही थीं। वास्तव में इन कंपनियों के असली लाभार्थी निशांत सरीन ही थे। इन्हीं कंपनियों के माध्यम से उन्होंने लगभग 5.78 करोड़ रुपये की अवैध कमाई को वैध दिखाने का प्रयास किया।
शिकायतकर्ता जगबीर सिंह के बयानों में यह भी सामने आया कि सरीन ने उन्हें धमकाकर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए, ड्रग लाइसेंस और बैंक खातों में फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया और फार्मा कंपनियों से भारी वसूली की। ईडी ने 22 और 23 जून 2025 को निशांत सरीन के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसमें महंगे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड, दस्तावेज़ और संपत्ति से जुड़े कागजात बरामद हुए। एजेंसी ने बताया कि सरीन की संपत्तियाँ उनके ज्ञात आय स्रोतों से कई गुना अधिक हैं।
ईडी के अनुसार 9 अक्तूबर 2025 को दिए अपने बयान में सरीन ने सच्ची जानकारी देने से परहेज किया और जांच को गुमराह करने की कोशिश की। एजेंसी की तरफ से बताया गया कि सरीन कई साक्ष्यों और गवाहों को प्रभावित करने की स्थिति में हैं, इसलिए उनकी कस्टडी में पूछताछ आवश्यक है ताकि अवैध संपत्तियों और सह-अभियुक्तों की पहचान की जा सके। ईडी के एक अधिकारी ने कहा कि निशांत सरीन धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 की धारा 3 के तहत अपराध में सीधे तौर पर शामिल हैं, जो धारा 4 के अंतर्गत दंडनीय और गैर-जमानती अपराध है। ईडी की ओर से अब सरीन की अवैध संपत्तियों की पहचान, धन प्रवाह की जांच और संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ की जा रही है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved