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बांग्लादेश में हिंदू आबादी घटी, मुसलमानों की संख्‍या में हुई बढ़ोत्‍तरी, जानिए क्‍या है इस बदलाव के पीछे वजह ?

December 24, 2025

नई दिल्‍ली । बांग्लादेश (Bangladesh) जब बना तो उस वक्त वहां की कुल आबादी (population) में हिन्दुओं (Hindus) का प्रतिशत 20 से 22 प्रतिशत था. तब बांग्लादेश में हिन्दुओं की आबादी 1 करोड़ से 1.5 करोड़ के बीच थी. 1971 से 2025 के बीच 54 साल में बांग्लादेश सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और डेमोग्राफिक बदलावों से होकर गुजरा. इसका सबसे नकारात्मक असर वहां की हिन्दू आबादी पर पड़ा.

अगर बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 1971 से 2025 तक वैश्विक औसत दर (लगभग 1.1% प्रति वर्ष) से बढ़ती, तो 2025 में वहां लगभग 2.17 करोड़ (21.7 मिलियन) हिंदू होते. लेकिन 1971 में जिस बांग्लादेश में हिन्दू वहां की कुल आबादी का 22 फीसदी थे, वहां अब कुल आबादी का 8 फीसदी से भी कम रह गए हैं. इस तरह वहां 54 साल में हिन्दुओं की आबादी 14 फीसदी कम हो गई है.

2022 की जनगणना के अनुसार बांग्लादेश की कुल आबादी लगभग 17 करोड़ थी. इसमें हिन्दुओं की जनसंख्या 1 करोड़ 30 लाख के आस पास थी.

2025 तक जनसंख्या वृद्धि और माइग्रेशन के आधार पर बांग्लादेश में अनुमानित हिन्दू आबादी 1 करोड़ तीस लाख से एक करोड़ 50 के आस पास हो सकती है. ये बांग्लादेश की कुल आबादी का लगभग 7.5-8% है.


54 साल में घटती गई हिन्दू आबादी
यानी कि पिछले 54 सालों में विज्ञान, आधुनिक सुख-सुविधा में प्रगति के बावजूद बांग्लादेश में हिन्दुओं की आबादी ज्यों की त्यों रही. अगर प्रतिशत आधार पर देखा जाए तो जो हिन्दू 1971 में बांग्लादेश की आजादी का 22 प्रतिशत थे वे अब घटकर 7.5 प्रतिशत तक रह गए.

आज़ाद बांग्लादेश में पहली जनगणना 1974 में हुई थी, जब कुल आबादी में हिंदुओं की संख्या 13.5% थी. यह प्रतिशत 1981 में घटकर 12.1%, 1991 में 10.5%, 2001 में 9.3% और 2011 की जनगणना में 8.5% हो गई. ये आंकड़े साफ तौर पर दिखाते हैं कि आजादी के बाद से बांग्लादेश में हिंदू आबादी लगातार कम हो रही है.

इसके उलट इस दौरान मुस्लिम आबादी बढ़ी है. जहां 1974 में कुल आबादी में मुसलमानों की संख्या 85.4% थी, वहीं 2011 में यह 91.5% हो गई है.

बांग्लादेश में क्यों सिकुड़ते गए हिन्दू
बांग्लादेश में हिन्दुओं की आबादी में गिरावट के कई ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक कारण हैं. इन कारणों की विस्तृत पड़ताल से पता चलता है कि इस देश में हिन्दुओं के खिलाफ सांस्थानिक रूप से भेदभाव किया गया. हिन्दू इसके लगातार शिकार बने.

हिन्दुओं का माइग्रेशन
बांग्लादेश से हिन्दू परिवार भारत की ओर पलायन कर रहे हैं, यहां उन्हें धार्मिक, सांस्कृतिक, पारिवारिक और राजनीतिक सुरक्षा की उम्मीद होती है.

1947 के विभाजन से लेकर अब तक लाखों हिन्दू चले गए. 1964-2001 के बीच अनुमानित 8.1 मिलियन हिन्दू भारत आ गए. यानी कि हर साल लगभग 2 लाख 19 हजार हिन्दू बांग्लादेश से भारत की ओर आए.

हाल में 2024 की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद हिन्दुओं में असुरक्षा की भावना और बढ़ी है और वे पलायन के लिए मौके की तलाश कर रहे हैं.

बांग्लादेशी हिन्दुओं पर काम करने वाली संस्था बांग्लादेश सेंटर ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि कई हिंदू भारत जाना चाहते हैं, जहां उन्हें भारत के हिंदू-बहुसंख्यक होने की वजह से जाना-पहचाना सांस्कृतिक माहौल मिलता है. इसके अलावा, कई हिंदुओं के रिश्तेदार पश्चिम बंगाल और असम में हैं, जिससे शादी और पारिवारिक रिश्तों के ज़रिए माइग्रेशन का एक स्वाभाविक रास्ता बन जाता है.

प्यू रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश में जन्में 16 लाख हिन्दू अब भारत में रहते हैं. इनमें से कई वैसे हिन्दू हैं जो 1947 के बंटवारे के दौरान भारत आए थे.

धार्मिक उत्पीड़न और हिंसा
हिन्दुओं पर हमले, मंदिरों की तोड़फोड़, भूमि हड़पना और बलात्कार जैसे अपराध बांग्लादेश में आम है. हाल में ऐसे कई मामले सामने आए है.
1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने हिन्दुओं को निशाना बनाया. स्वतंत्रता के बाद भी, 1990 के दंगों, 2001 चुनाव के बाद हिंसा, और 2024 में शेख हसीना सरकार गिरने के बाद 200 से ज्यादा हमले हुए. इस असुरक्षा में हिन्दू मौका मिलते ही वहां से पलायन करना चाहते हैं.

हिन्दुओं में कम प्रजनन दर
बांग्लादेश में हिन्दुओं की प्रजनन दर मुसलमानों से कम है. 2014 में हिन्दुओं की प्रजनन दर 2.1 थी जबकि मुस्लिमों में ये आंकड़ा 2.3 था. इसकी वजह से भी हिन्दुओं की आबादी मुसलमानों के मुकाबले कम बढ़ रही है.

बांग्लादेश सेंटर ने तीन रिसर्चर्स के हवाले से बताया है कि 2019 की एक स्टडी में पाया गया कि 1989 और 2016 के बीच, हिंदुओं की आबादी बढ़ने की दर मुसलमानों की तुलना में कम थी. जिसका मुख्य कारण माइग्रेशन, कम फर्टिलिटी रेट और तुलनात्मक रूप से ज़्यादा मृत्यु दर थी.

इस ट्रेंड को समझाते हुए ढाका यूनिवर्सिटी के पॉपुलेशन साइंसेज डिपार्टमेंट के प्रोफेसर मोहम्मद मैनुल इस्लाम ने बताया कि आबादी में बढ़ोतरी या कमी तीन मुख्य डेमोग्राफिक प्रक्रियाओं से होती है: जन्म दर, मृत्यु दर और माइग्रेशन. इन तीनों कारणों ने हिंदू आबादी में कमी में योगदान दिया है.

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