
नई दिल्ली । बांग्लादेश (Bangladesh) के मयमनसिंह (Mymensingh) में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डाले गए हिंदू युवक दीपू चंद्र दास (Hindu youth Deepu Chandra Das) के परिवार की दुर्दशा को लेकर एक सोशल मीडिया पोस्ट वायरल हो रही है। इसके बाद भारत (India) सहित दुनिया भर से मदद का सिलसिला शुरू हो गया है। बांग्लादेश में रहने वाले दास परिवार के लिए भारत, अमेरिका और सिंगापुर सहित कई देशों से दान भेजा जा रहा है। सोशल मीडिया पर उठी मदद की अपील के बाद यह सहायता तेजी से बढ़ी है।
सोमवार तक, बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने दास परिवार के लिए एक बैंक खाता खोला। सोशल मीडिया पर लगातार यह सवाल उठ रहा था कि परिवार की आर्थिक मदद कैसे की जाए। खाता खुलते ही शाम तक देश-विदेश से दान आने लगा।
चटगांव विश्वविद्यालय में संस्कृत के प्रोफेसर कुशल बरन चक्रवर्ती ने बताया- हमने परिवार की मदद के लिए सोशल मीडिया पर बैंक खाते का विवरण शेयर किया है। फिलहाल हम दान की गणना नहीं कर रहे, लेकिन हमें जानकारी मिली है कि दुनियाभर के लोगों ने अब तक लाखों रुपये दान किए हैं। चक्रवर्ती हाल ही में अन्य प्रतिनिधियों के साथ दास परिवार से मिलने पहुंचे थे।
उन्होंने कहा कि परिवार की हालत बेहद दयनीय है। परिवार के सदस्य भावनात्मक रूप से टूट चुके हैं। उनके पास इतना भी नहीं है कि वे एक हफ्ते तक गुज़ारा कर सकें। दीपू दास परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। वे एक कपड़ा निर्माण कंपनी में काम करते थे और बेहद मामूली वेतन पाते थे। हालांकि, काम में अच्छे प्रदर्शन के चलते कंपनी ने उन्हें प्रमोशन दिया था। चक्रवर्ती के मुताबिक, इससे कुछ सहकर्मी नाराज हो गए और उन पर सोशल मीडिया पर भड़काऊ संदेश फैलाने का आरोप लगाया गया- जबकि दिपु के पास स्मार्टफोन तक नहीं था।
दास परिवार मयमनसिंह के तारकांदी पुलिस स्टेशन क्षेत्र में एक गोदाम के पीछे बने अस्थायी मकान में रहता है। रिपोर्ट के मुताबिक, परिवार को दीपू का शव घर लाने से भी रोका गया। चक्रवर्ती ने कहा- दीपू की शादी दो साल पहले हुई थी और उनका एक छोटा बच्चा है। इस स्थिति में परिवार का जीवित रह पाना बेहद मुश्किल है। इसलिए सबसे पहले हमने उनके लिए बैंक खाता खोलने का फैसला किया।
परिवार से मुलाकात और बातचीत के विवरण को चक्रवर्ती ने फेसबुक पर शेयर किया, जिसके बाद उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर दीपू की हत्या की निंदा करते हुए सैकड़ों टिप्पणियां आने लगीं। सोमवार सुबह उन्होंने फेसबुक पर परिवार के लिए आर्थिक सहायता की अपील की। उन्होंने कहा कि इसके तुरंत बाद लोग खाते में पैसे भेजने लगे और भुगतान के स्क्रीनशॉट साझा करने लगे। हम इस सहयोग से अभिभूत हैं।
इस घटना ने एक बार फिर बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दास परिवार के लिए मिल रही वैश्विक मदद उनके लिए राहत की किरण जरूर है, लेकिन दीपू की मौत के पीछे के आरोपों और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग अब भी तेज होती जा रही है।
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