मास्को। पिछले तीन वर्षों से अधिक समय से यूक्रेन (Ukraine War) के साथ उलझे रूसी राष्ट्रपति पुतिन (Putin) के सामने एक नई परेशानी आ रही है। रूसी रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट्स के मुताबिक यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूसी सैनिकों में एचआईवी (HIV-AIDS) के मामले रिकॉर्ड दर पर सामने आ रहे हैं। रूसी सेना में यह मामले ऐसे समय में सामने आ रहे हैं, जब रूस दुनिया के सबसे ज्यादा एचआईपी पॉजिटिव आबादी वाले देशों में से एक है। रूस में करीब दस लाख लोग एचआईवी पॉजिटिव माने जाते हैं।
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से ही रूसी सैनिकों मं एचआईवी की दर करीब 20 से 40 गुना बढ़ गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसा होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। जैसे युद्ध की स्थिति में फंसे सैनिकों का असुरक्षित यौन संबंध बनाना और मनौवैज्ञानिक तनाव से राहत पाने के लिए एक ही सुई से कई सैनिकों का ड्रग्स लेना। द टाइम्स से बात करते हुए एक विशेषज्ञ ने कहा कि सैनिकों में इस तरह के मामले बढ़ने का एक कारण यह भी है कि वह ऐसे जी रहे हैं, जैसे उनके जीवन में कोई कल नहीं है।
यूक्रेनी अधिकारियों की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेना में भर्ती हुए नए रूसी सैनिकों में से कम से कम 20 प्रतिशत एचआईवी पॉजिटिव हैं। कुछ रूसी सैनिकों ने दावा किया है कि अगर वे अपने देश की ओर से लड़ने के लिए तैयार होते, तो उन्हें जीवनरक्षक एंटी-वायरल एचआईवी दवा की पेशकश की जाती। हालांकि यह दवाएं एचआईवी का इलाज नहीं करती हैं, लेकिन उसके खतरे को कम जरूर कर देती है। इसका मतलब है कि इस बीमारी से पीड़ित लोगों की कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली को इस दवा के जरिए मजबूत बनाया जाता है। इसकी वजह से उनके किसी अन्य बीमारी से संक्रमित होने का खतरा कम हो जाता है।
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