
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने कई आपराधिक मामलों (criminal cases) में आरोपी एक व्यक्ति को यह देखने के बाद जमानत दे दी है कि वह एचआईवी संक्रमित (HIV infected) है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम है. न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पामिडीघंटम श्री नरसिम्हा की पीठ ने आरोपी की एचआईवी मेडिकल रिपोर्ट (medical report) देखने के बाद उसे जमानत देने का फैसला किया. आरोपी की मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, उसे सांस लेने में गंभीर तकलीफ होती है और वह बिना सहारे के चलने में असमर्थ है।
इम्युनो-कॉम्प्रोमाइज्ड (शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता का बेहद कम होना) होने के कारण उसे बार-बार संक्रमण होने का खतरा रहता है. रोगी को नियमित उपचार और देखरेग की आवश्यकता है. शीर्ष अदालत ने कहा, ‘मामले की अजीबोगरीब परिस्थितियों को देखते हुए कि याचिकाकर्ता एचआईवी से पीड़ित है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम है, इस अदालत का मानना है कि वह जमानत का हकदार है.’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाए गए ऐसे नियमों और शर्तों के अधीन याचिकाकर्ता की जमानत अवधि बढ़ाई जा सकती है।
शीर्ष अदालत ने संबंधित कोर्ट (राजस्थान हाईकोर्ट) को ह्यूमन इम्यूनो डेफिसिएंसी वायरस की धारा 34(2) और एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम (रोकथाम और नियंत्रण) एक्ट, 2017 के तहत याचिकाकर्ताओं की अपील के शीघ्र निपटान के लिए उन्हें विभिन्न शर्तों का लाभ देने का भी निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ कई मामले लंबित हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय याचिकाकर्ता की अपील को जल्द से जल्द अपनी सुविधानुसार सुनवाई करने और उसका निपटारा करने के लिए उचित कदम उठाए।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को कानून के अनुसार अपनी पहचान छिपाने के लिए खुद से जुड़े मामलों के रिकॉर्ड गुमनाम रखने का दावा करने की स्वतंत्रता है.आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एचआईवी संक्रमित जिस आरोपी को जमानत दी है, उसके खिलाफ राजस्थान के अलग-अलग पुलिस थानों में 17 अपराधिक मामले दर्ज हैं. राजस्थान हाईकोर्ट ने आरोपी की ओर से दायर सजा निलंबन की अपील को 4 बार खारिज कर दिया था. उसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां से उसे जमानत मिल गई।
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