
उज्जैन: वैसे तो बाबा महाकाल (Baba Mahakal) की नगरी में हर पर्व का अपना महत्व है. लेकिन होली के दिन यहां अलग ही नजारा देखने को मिलता है. बाबा महाकाल की नगरी (City of Mahakaal) के आंगन में होली के एक दिन पहले संध्या आरती के बाद प्रदोषकाल में होलिका का पूजन (Worship of Holika) और दहन किया जाता है. उसके अगले दिन सुबह होने वाली भस्म आरती में बाबा महाकाल अबीर-गुलाल से होली खेलते हैं.
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 20 मिनट तक चतुर्दशी तिथि रहेगी. इसके बाद पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और सिंह राशि के चंद्रमा की साक्षी में पूर्णिमा तिथि लगेगी, जो प्रदोष काल में पूर्ण रूप से रहेगी. होली से एक दिन पहले होलिका दहन करने की परंपरा है. ऐसे में 13 मार्च को होलिका दहन होगा. इसी दिन बाबा महाकाल के दरबार में भी होलिका जलाई जाएगी. इस दिन पाताल लोक की भद्रा भी रहेगी, इसलिए होलिका का दहन रात 11.30 बजे के बाद किया जाएगा.
इसके अगले दिन यानी 14 मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन तड़के 4 बजे भस्म आरती में पुजारी भगवान महाकाल के साथ हर्बल गुलाल से होली खेलेंगे. महाकाल मंदिर में होली उत्सव की तैयारी अभी से शुरू हो गई है. ग महाकाल मंदिर में 13 मार्च को राजसी वैभव के साथ होली उत्सव पर्व की शुरुआत होगी.
इसी दिन प्रदोषकाल में होलिका दहन होगा. 14 मार्च को धुलेंडी पर तड़के 4 बजे भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल को पुजारियों द्वारा अबीर-गुलाल से होली खिलाई जाएगी. महाकालेश्वर मंदिर समिति पुजारियों को प्राकृतिक उत्पादों से तैयार हर्बल गुलाल उपलब्ध कराएगी.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved