
नई दिल्ली। एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (इंडिया) Association of Healthcare Providers (India) (AHPI) ने बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस (Bajaj Allianz General Insurance) और केयर हेल्थ इंश्योरेंस (Care Health Insurance) के लिए 1 सितंबर से कैशलेस इलाज की सुविधा रोकने का फैसला किया है। इससे हजारों पॉलिसीधारक प्रभावित हो सकते हैं। ताजा अपडेट ये है कि GI काउंसिल ने AHPI से अपना फैसला वापस लेने और बीमा कंपनियों के साथ रचनात्मक बातचीत जारी रखने का आग्रह किया है।
ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा?
अगर यह फैसला लागू होता है, तो प्रभावित बीमा कंपनियों के ग्राहकों को अस्पताल में इलाज कराने के लिए पहले अपनी जेब से पैसे चुकाने होंगे। बाद में, वे इंश्योरेंस कंपनी से रीइम्बर्समेंट (पैसे की वापसी) का क्लेम कर सकेंगे। इससे मरीजों को आर्थिक परेशानी और तनाव का सामना करना पड़ सकता है।
AHPI के मुताबिक, भारत में मेडिकल महंगाई हर साल 7-8% बढ़ रही है, जिसमें स्टाफ की सैलरी, दवाइयां और अन्य खर्च शामिल हैं। ऐसे में, अस्पतालों का कहना है कि पुराने रिम्बर्समेंट रेट्स पर काम करना मुश्किल है और बीमा कंपनियां टैरिफ घटाने पर जोर दे रही हैं। साथ ही, क्लेम सेटलमेंट में देरी और डिस्चार्ज अप्रूवल में लंबा समय लेने की भी शिकायत है।
बीमा कंपनियों और GI काउंसिल की प्रतिक्रिया
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (GI काउंसिल) ने AHPI के इस कदम को “अचानक और एकतरफा” बताया है। काउंसिल का कहना है कि इससे नागरिकों में भ्रम और चिंता फैल रही है और हेल्थ इंश्योरेंस सिस्टम में भरोसा कमजोर हो सकता है। उन्होंने कहा कि कैशलेस सुविधा बंद होने से मरीजों को इमरजेंसी में तुरंत इलाज के लिए वित्तीय व्यवस्था करनी पड़ सकती है, जो जान जोखिम में डाल सकता है।
क्या है समाधान?
GI काउंसिल ने AHPI से अपना फैसला वापस लेने और बीमा कंपनियों के साथ रचनात्मक बातचीत जारी रखने का आग्रह किया है। AHPI और बीमा कंपनियों के बीच बैठकें भी शेड्यूल हैं, जहां इन मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की जाएगी। सभी की कोशिश है कि ग्राहकों के हितों को नुकसान न पहुंचे।
कैशलेस इलाज के लिए IRDAI का लक्ष्य
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब भारतीय बीमा नियामक प्राधिकरण (IRDAI) पूरे देश में 100% कैशलेस क्लेम सेटलमेंट को बढ़ावा दे रहा है। IRDAI चाहता है कि बीमा कंपनियां ग्राहकों के लिए सहज और तेज इलाज की सुविधा सुनिश्चित करें। हालांकि, अस्पतालों पर कोई सीधे नियामक नियंत्रण नहीं है, जिससे यह समस्या और जटिल हो जाती है।
एकजुट उद्योग
GI काउंसिल ने जोर देकर कहा कि जब कोई बीमाकर्ता अनुचित तरीके से टार्गेट होता है, तो पूरा उद्योग एकजुट हो जाता है, क्योंकि इससे करोड़ों नागरिक प्रभावित होते हैं, जो हेल्थ इंश्योरेंस पर निर्भर हैं। उनका लक्ष्य हर भारतीय नागरिक के लिए हेल्थ इंश्योरेंस को एक विश्वसनीय और सस्ती सुरक्षा कवच बनाए रखना है।
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