
डेस्क: भारत की श्रमण परम्परा से निकले धर्म और दर्शन बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध (गौतम बुद्ध) के जन्म यानी ज्ञान प्राप्ति के दिन को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. बताया जाता है कि इस्लाम और ईसाई धर्म से भी पहले बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई थी और इन दोनों धर्मों के बाद बौद्ध धर्म दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, जिसका विस्तार दुनिया के कई देशों तक हुआ.
महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में भारतीय शाक्य गणराज्य की तत्कालीन राजधानी कपिलवस्तु के पास लुंबिनी में हुआ था जो अब नेपाल में है. इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था. पिता शुद्धोधन शाक्य गणराज्य के मुखिया थे. सिद्धार्थ की मां का नाम माया था, जिनका निधन बेटे के जन्म के सात दिन बाद ही हो गया था. सौतेली मां प्रजापति गौतमी ने सिद्धार्थ का पालन-पोषण किया था. 16 साल की उम्र में सिद्धार्थ का विवाह दंडपाणि शाक्य की बेटी यशोधरा से हुआ था. उनके एक पुत्र था राहुल.
एक बार कपिलवस्तु की सैर को निकले सिद्धार्थ को चार दृश्यों ने विचलित कर दिया. बूढ़ा व्यक्ति, बीमार व्यक्ति, शव और एक संन्यासी को देखने के बाद सिद्धार्थ सांसारिक समस्याओं से परेशान हो गए और 29 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया और बिहार के वैशाली में आलारकलाम से सांख्य दर्शन की शिक्षा ली. राजगीर के रूद्रकरामपुत्त से भी शिक्षा ग्रहण की.बताया जाता है कि बिना अन्न-जल के छह साल कठिन तपस्या के बाद 35 साल की उम्र में वैशाख की पूर्णिमा की रात को निरंजना नदी के तट पर पीपल के पेड़ के नीचे सिद्धार्थ को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इसके बाद वह बुद्ध कहलाए और जहां ज्ञान प्राप्त हुआ उसे बोधगया कहा गया.
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बताया जाता है कि बुद्ध ने अपना पहला उपदेश वाराणसी के पास सारनाथ में दिया था. फिर कोशल, कौशांबी और वैशाली राज्यों में पालि भाषा में उपदेश दिए. उन्होंने सबसे ज्यादा उपदेश कौशल की राजधानी श्रावस्ती में दिए. धीरे-धीरे बुद्ध धर्म का प्रचार-प्रचार भारत की सीमाओं से निकलकर दूसरे देशों में भी होने लगा. 563 ईसा पूर्व से 483 ईसा पूर्व तक बुद्ध रहे और उपदेश दिया. इस तरह उन्हें भगवान बुद्ध के नाम से पुकारा जाने लगा.
जिन देशों तक बुद्ध के उपदेश पहुंचे उनमें श्रीलंका, चीन, कोरिया, थाईलैंड, जापान, म्यांमार, कंबोडिया, नेपाल, भूटान आदि शामिल हैं. वर्तमान में दुनिया में 14 देश ऐसे हैं, जो बौद्ध देश माने जाते हैं. ये सभी एशिया के देश हैं. इनमें से छह देश तो पूरी तरह से बौद्ध राष्ट्र हैं. इन देशों ने बौद्ध धर्म को अपने संविधान में आधिकारिक धर्म या विशेष धर्म का दर्जा दिया है. इनमें लाओस, कंबोडिया, भूटान, म्यांमार, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं.
साल 2011 की जनगणना के अनुसार तब तक भारत में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या 84 लाख थी. इनमें से 87 फीसदी लोगों ने अपना धर्म बदलकर बौद्ध धर्म अपनाया था. इसके अनुयायियों की साक्षरता दर 81.29 प्रतिशत बताई गई थी, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर साक्षरता दर 72.98 फ़ीसदी बताई गई थी. भारत में बौद्धों की बड़ी जनसंख्या उत्तर पूर्वी राज्यों और हिमालय के पास के क्षेत्रों जैसे लद्दाख में रहती है. यहां के लोग पहले से ही बौद्ध धर्म का पालन करने वाले रहे हैं.
बौद्ध धर्म की खास बातें
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