
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र (Parliamentary Constituency )वाराणसी(Varanasi) में मतदाता सूची में गड़बड़ी(Error in list) के आरोपों को लेकर मचे बवाल पर राम जानकी मठ(Ram Janaki Math) के संतों ने साफ किया है कि यह मामला धार्मिक परंपरा का है, न कि वोटर फ्रॉड का। यह मामला तब शुरू हुआ जब उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर वाराणसी नगर निगम के 2023 चुनाव की मतदाता सूची का एक अंश शेयर करते हुए आरोप लगाया कि कश्मीरिगंज वार्ड-51 में एक ही व्यक्ति ‘रामकमल दास’ के 50 से अधिक पुत्र दर्ज हैं। कांग्रेस ने इसे खुलेआम मतदाता चोरी का उदाहरण बताते हुए चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, मतदाता सूची में दर्ज पता B 24/19 कोई आम मकान नहीं बल्कि राम जानकी मठ मंदिर है, जिसकी स्थापना आचार्य रामकमल दास ने की थी। मठ के प्रबंधक रामभरत शास्त्री ने सूची की प्रामाणिकता स्वीकार की लेकिन बताया कि यह गुरु–शिष्य परंपरा का हिस्सा है।
उन्होंने कहा, “हमारे आश्रम में संन्यास लेने वाले शिष्य अपने गुरु को ही पिता मानते हैं। सांसारिक जीवन छोड़ने के बाद उनके आधिकारिक दस्तावेजों में पिता के नाम की जगह गुरु का नाम दर्ज किया जाता है।”
वरिष्ठ शिष्य अभिराम ने कहा कि यह परंपरा कानूनी रूप से मान्य है। उन्होंने कहा, “2016 में भारत सरकार ने साधु-संन्यासियों को यह अधिकार दिया कि वे अपने दस्तावेजों में जैविक पिता की जगह गुरु का नाम लिख सकें। यह न तो धोखाधड़ी है और न ही असंवैधानिक।”
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कांग्रेस के आरोपों को सनातन परंपरा को बदनाम करने की साजिश बताया और कहा कि यदि ऐसी बातें फैलाई गईं तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, “गुरुकुल के विद्यार्थियों, ब्रह्मचारियों और साधुओं के आधार व वोटर आईडी में पिता की जगह गुरु का नाम दर्ज होता है। बिना समझे राजनीतिक दल बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।” संतों ने गलतफहमी फैलाने वालों के लिए ‘बुद्धि शुद्धि पूजन’ भी किया और राजनीतिकरण से बचने की अपील की।
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