
नई दिल्ली: बांग्लादेश (Bangladesh) की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहाकार मोहम्मद यूनुस (mohammed yunus) लगातार मुश्किलों से घिरते जा रहे हैं. सेना और सहयोगी पार्टियों के दवाब में मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में अप्रैल 2026 में आम चुनाव कराने का ऐलान कर दिया, हालांकि चुनाव के दिन और तारीख का ऐलान उन्होंने नहीं किया है, लेकिन चुनाव की घोषणा के बाद राजनीतिक दलों की जो प्रतिक्रियाएं आई हैं, जो बहुत ही सकारात्मक नहीं हैं.
बांग्लादेश नेशनल पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश दिसंबर में चुनाव कराने की मांग कर रही है, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मोहम्मद यूनुस के प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. इससे बांग्लादेश के राजनीतिक माहौल में तनाव बढ़ता जा रहा है, क्योंकि बीएनपी और विपक्षी दलों के गठबंधन ने अप्रैल 2026 में होने वाले राष्ट्रीय चुनावों के लिए अंतरिम सरकार की प्रस्तावित समयसीमा को खारिज कर दिया है. इससे चुनाव को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है.
ईद-उल-अजहा के अवसर पर 6 जून को एक टेलीविजन संबोधन में, कार्यवाहक सरकार के मुख्य सलाहकार, मुहम्मद यूनुस ने घोषणा की थी कि आम चुनाव अप्रैल 2026 के पहले पखवाड़े में किसी भी एक दिन होंगे. यूनुस ने आगे कहा, चुनाव आयोग आपको उचित समय पर चुनावों के लिए एक विस्तृत रोडमैप प्रदान करेगा. यह घोषणा अगस्त 2024 में छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह के दौरान पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना को पद से हटाए जाने के बाद की गई है.
बांग्लादेश मामलों के विशेषज्ञ पार्थ मुखोपाध्याय का कहना है कि बांग्लादेश की सत्ता संभालने के बाद यूनुस ने कहा था कि चुनाव प्रक्रियाओं में सुधार होगा, लेकिन सुधार कोई मैजिक बटन नहीं है. इसमें समय लगेगा और उन्होंने अप्रैल 2026 में चुनाव कराने का ऐलान कर दिया है, लेकिन बीएनपी के साथ-साथ जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश इसका विरोध कर रही है. दोनों ही पार्टियों दिसंबर में चुनाव चाहती है.
उन्होंने कहा कि ऐसे में यूनुस पर जल्द चुनाव कराने के लिए दवाब बढेगा. यूनुस सरकार में बांग्लादेश की कानून-व्यवस्था लगातार बिगड़ रही है. उन पर लगातार आरोप लग रहे हैं. हाल में यूनुस ने चीन और जापान का दौरा किया है और जल्द ही यूके का दौरा करेंगे. अमेरिका को भी अपने पक्ष में यूनुस करने करने की कोशिश कर रहे हैं.
कुल मिलाकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह देखना होगा कि घरेलू स्तर पर वह जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश और बीएनपी के साथ-साथ सेना के दवाब का कैसे सामना करते हैं. यूनुस द्वारा की गई चुनावों की घोषणा पर प्रतिक्रिया देने के लिए बीएनपी ने शुक्रवार रात अपनी स्थायी समिति की एक विशेष बैठक बुलाई। पार्टी की बैठक की अध्यक्षता कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान ने की.
बीएनपी ने एक बयान में कहा, “मुख्य सलाहकार का ईद संबोधन पारंपरिक त्यौहारी संदेश से आगे निकल गया और अंतरिम सरकार के घोषित तीन-सूत्री जनादेश से असंबंधित राजनीतिक मुद्दों पर पहुंच गया.” बीएनपी की स्थायी समिति के सदस्य आमिर खसरू ने कहा कि जब 90 प्रतिशत राजनीतिक दलों ने दिसंबर तक निर्णय लेने की मांग की है, तो सवाल उठता है कि विशाल बहुमत की अनदेखी करके ऐसा निर्णय कैसे लिया जा सकता है? पार्टी ने यूनुस द्वारा उठाए गए कदम की भी आलोचना की और अप्रैल में चुनाव के प्रस्ताव को खारिज कर दिया. उन्होंने समय से संबंधित चिंताओं जैसे विभिन्न कारणों का हवाला दिया; चूंकि यह रमजान के पवित्र महीने, मौसम की स्थिति और स्कूल परीक्षाओं के साथ मेल खाता था.
पार्टी ने बार-बार सवाल उठाया है कि दिसंबर 2025 तक चुनाव क्यों नहीं हो सकते. उन्होंने यह भी दावा किया कि यूनुस ने इसके लिए कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया है. बीएनपी ने जुलाई-अगस्त 2024 के विद्रोह के दौरान किए गए बलिदानों को भी सामने लाया है और दावा किया है कि इसमें और देरी से राजनीतिक दरारें बढ़ेंगी और लोकतंत्र कमजोर होगा, जिससे जनता में नाराजगी और गुस्सा पैदा होगा.
बीएनपी प्रस्तावित अप्रैल 2026 चुनाव समयसीमा के खिलाफ जनता का समर्थन जुटाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने का प्रयास कर रही है. साथ ही उसका मानना है कि रमजान के दौरान चुनाव कराना संभव नहीं है. इस पवित्र महीने का इस्तेमाल बहुप्रतीक्षित चुनावों को पूरी तरह से स्थगित करने के बहाने के रूप में किया जा सकता है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में देरी होगी. बीएनपी संयुक्त मोर्चा बनाने के लिए अन्य दलों से भी संपर्क कर सकती है. करीब 20 दल दिसंबर में चुनाव कराने के पक्ष में हैं.
दूसरी ओर, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार फिर ऑडियो संदेश में मोहम्मद यूनुस के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया. हसीना का दावा है कि यूनुस के शासन में आतंकवादियों को संरक्षण दिया जा रहा है. उन्होंने यह भी दावा किया कि मोहम्मद यूनुस चुनाव नहीं कराना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, “यह सरकार पूरे बांग्लादेश को विनाश की ओर ले जा रही है. मैं कह रही हूं कि मोहम्मद यूनुस चुनाव कराने वाले व्यक्ति नहीं हैं. हमारे कार्यकाल में बजट बढ़ा, लेकिन अब यह भी घट रहा है. इसने हमारे द्वारा बनाई गई सभी संस्थाओं को नष्ट कर दिया है. बांग्लादेश का आसमान केवल अपने रिश्तेदारों को खोने की चीखों से भरा हुआ है. बांग्लादेश को इस सरकार के हाथों से मुक्त होना चाहिए.”
यूनुस के बयान का हसीना की पार्टी अवामी लीग ने कड़ा विरोध किया, जिसे हाल ही में बांग्लादेश में प्रतिबंधित घोषित किया गया है. उनका दावा है कि यूनुस अपनी गलतियों को छिपाने के लिए झूठ बोल रह हैं. उन्होंने बांग्लादेश की वर्तमान सरकार पर भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया. अवामी लीग ने आगे दावा किया कि यूनुस सरकार बांग्लादेश के लोगों की तुलना में विदेशी हितों को अधिक महत्व दे रही है.
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