
डेस्क: हिंदू धर्म में किसी भी पूजा पाठ में हवन का बेहद ही महत्व होता है. वैवाहिक कार्यक्रम हो या गृह प्रवेश का कार्यक्रम हो, हर शुभ कार्यों में हवन को प्राथमिकता दी जाती है. हवन करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मकता बढ़ती है. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों के दर्शन पूजन के बाद अष्टमी और नवमी को माता के हवन का भी प्रावधान है. हवन करने से व्रत पूर्ण माना जाता है.
शारदीय नवरात्रों में भी मां दुर्गा के 9 दिन व्रत रखने के बाद व्रत के आखिरी दिन हवन करने का महत्व है. हवन करने से माता दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. लेकिन हवन करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है, यह भी महत्वपूर्ण होता है. इससे पहले जानेंगे हवन करना क्यों जरुरी है.
हवन करने का महत्व
पंडित बताते हैं, किसी भी पूजा-पाठ को करने के बाद उसकी समाप्ति हवन से करते हैं. वेद-पुराणों में भी हवन का जिक्र किया गया है. मान्यता है कि हवन में डाली गई सामग्रियां वातावरण को शुद्ध करती हैं और नकारात्मक ऊर्जा का नाश करती हैं. हवन करते समय देवी-देवताओं के मंत्रों का जाप किया जाता है, जिससे कि वातावरण में नई ऊर्जा का सृजन हो और मस्तिष्क पूरी तरह से शुद्ध हो. हवन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि जब वातावरण शुद्ध होगा तो विचार भी शुद्ध ही आएंगे.
हवन करने के नियम
नवरात्रि हवन की सामग्री
हवन कुंड, हवन सामग्री, देसी घी, समिधा, कपूर, धूप, अगरबत्ती, सूखा नारियल, लाल कलावा, रोली, चंदन, अक्षत,आम या केले के पत्ते, पान के पत्ते, मिष्ठान, 5 प्रकार के फल, गंगाजल, चरणामृत, गुग्गल, लोबान, शहद, कपूर, लाल वस्त्र ,सुपारी, फूलों की माला इत्यादि रखें.
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