
डेस्क: भारतीय (Indian) अंतरिक्ष यात्री (Astronaut) लखनऊ के रहने वाले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (Captain Shubhanshu Shukla) को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) ले जाने वाला ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट (Dragon Spacecraft) तैयार है. इस ऐतिहासिक मिशन पर रवाना होने से पहले ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट की तस्वीरें साझा की गई हैं. यह 10 जून को उड़ान भरेगा. आइए जान लेते हैं कि शुभांशु शुक्ला और उनके साथियों को अंतरिक्ष में ले जाने वाला यह स्पेसक्राफ्ट कितना खास है.
ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट फ्लोरिडा में नासा के केनेडी स्पेस सेंटर के लांच कॉम्प्लेक्स 39ए से उड़ान भरेगा. इसके लिए यह फ्लोरिडा में लॉन्च पैड 39ए पर पहुंच चुका है. वहां यह अपनी पहली उड़ान के लिए तैयार किया जा रहा है. इस स्पेसक्राफ्ट से भारत के साथ ही अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री एक्जियोम स्पेस (Axiom Space) के प्राइवेट मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा पर जाएंगे.
इससे पहले स्पेसएक्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस रॉकेट की पहली तस्वीर शेयर की है. इसके साथ ही लिखा है कि ड्रैगन अपनी पहली उड़ान से पहले फ्लोरिडा में हैंगर के पैड 39ए पर पहुंच चुका है. फाल्कन 9 से 10 जून को ड्रैगन को लॉन्च किया जाएगा.
पहले ड्रैगन की उड़ान आठ जून 2025 को शाम 6:41 बजे तय थी. हालांकि, इसे दो दिन आगे बढ़ा दिया गया. अब यह 10 जून को उड़ान भरेगा, लेकिन इस विलंब की कोई वजह नहीं बताई गई है. सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि लॉन्च से पहले ड्रैगन के परिवहन और अंतिम प्रक्रिया पूरी करने के दौरान मौसम को देखते हुए ऐसा किया गया है.
ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को चार अंतरिक्ष यात्रियों को लाने-ले जाने के लिए बनाया गया है. वास्तव में यह ड्रैगन कैप्सूल स्पेसएक्स का एक अंतरिक्ष यान है, जिसमें क्रू ड्रैगन व कार्गो ड्रैगन शामिल हैं. क्रू ड्रैगन जहां अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ले जाता है, वहीं, कार्गो ड्रैगन कैप्सूल के जरिए वैज्ञानिक उपकरणों और अन्य सामान को ले जाया जाता है. इसकी क्षमता छह हजार किलो सामान ले जाने की है. क्रू ड्रैगन कैप्सूल में टचस्क्रीन डिस्प्ले वाले तीन कंट्रोल पैनल लगाए गए हैं, जो अंतरिक्ष यात्रियों को इस यान को चलाने में मदद करता है. इस कैप्सूल की कुल ऊंचाई 8.1 मीटर और व्यास 4 मीटर बताया गया है. ड्रैगन क्रू कैप्सूल में हाई कूलिंग सिस्टम के साथ ही साथ विशेष स्पेस सूट लगे रहते हैं.
क्रू ड्रैगन कैप्सूल ने अपनी पहली उड़ान साल 2020 में यात्रियों के साथ भरी थी. यह ऑटोमेटिक डॉकिंग और सुपरड्रैको इंजन वाला अंतरिक्ष यान है, जिससे स्पेसएक्स का यह अंतरिक्ष यान ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से खुद-ब-खुद जुड़ जाता है. इसलिए इसके जरिए किसी भी मिशन को अंजाम देना काफी सुरक्षित और आसान होता है.
क्रू ड्रैगन को कुल 15 अंतरिक्ष मिशनों में इस्तेमाल करने के लिए तैयार किया गया है. इसकी सबसे खासियत यह है कि इसमें लगाए गए आठ सुपरड्रैको इंजन किसी भी इमरजेंसी में कैप्सूल को रॉकेट से अलग कर सकते हैं. इसके अलावा ड्रैगन कैप्सूल के ट्रंक पैनल में सोलर पैनल लगाया गया है, जिससे बिजली बनती है. क्रू ड्रैगन कैप्सूल वापसी में पैराशूट के जरिए समुद्र में उतरता है. अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में अपना मिशन पूरा होने के बाद भी लंबे समय तक फंसी रहीं भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स को भी महीनों बाद इसी ड्रैगन कैप्सूल से वापस धरती पर लाया गया था.
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