
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections) 2025 में राजधानी दिल्ली को एक वैश्विक स्तर (Global Level) का शहर (City) बनाने का सपना लोगों को दिखाया था। उनके कहने का आशय था कि दिल्ली को अंतरराष्ट्रीय स्तर के शहर न्यूयॉर्क, लंदन, बीजिंग या पेरिस जैसा विकसित, सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त, प्रदूषण मुक्त और खूबसूरत होना चाहिए। चूंकि, मोदी ने गुजरात में केवड़िया से लेकर कच्छ तक राज्य के बेहद पिछड़े इलाकों को विकसित करने का करिश्मा कर दिखाया है, अहमदाबाद में गंदगी से बजबजाती साबरमती नदी साफ कर उसे पर्यटन केंद्र बनाकर दिखाया है, दिल्ली के लोगों ने भी ‘ब्रांड मोदी’ पर भरोसा करते हुए भाजपा को सत्ता सौंप दी।
दिल्ली में सत्ता पाने के साथ ही भाजपा और ‘ब्रांड मोदी’ की विश्वसनीयता की चुनौती शुरु हो चुकी है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि गंभीर प्रदूषण और भयंकर ट्रैफिक जाम के बीच दिल्ली को विकसित करने की चुनौती आसान नहीं है। भाजपा अपने हर चुनाव में यह दावा करती है कि उसने जनता से किया गया हर वादा निभाया है। उसका यह वादा लोकसभा चुनावों में भी दिखता है और राज्यों के चुनावों में भी। बिहार के इस समय चल रहे चुनाव में भी भाजपा यही दावा कर रही है कि एनडीए सरकार ने अपने किए हर वादे को निभाया है। यदि भाजपा को दिल्ली में अपनी यह विश्वसनीयता बरकरार रखनी है, और दो साल बाद दिल्ली नगर निगम 2027 के चुनावों में मजबूती से उतरना है तो उसे अपने वादों पर काम करते हुए दिखना भी होगा। कम से कम जनता को यह भरोसा होना चाहिए कि भाजपा जनता से किए अपने वादों को पूरा करने के लिए पूरी ईमानदारी के साथ काम कर रही है।
दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार जिस तरीके से काम कर रही है, राजधानी की व्यवस्था को सुधारने के लिए जिस तरह दिन-रात प्रयास किए जा रहे हैं, उससे भी यह लगता है कि भाजपा को अपनी जिम्मेदारियों का भान है। माना यह भी जाता है कि दिल्ली सरकार के कामकाज पर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की गहरी नजर है। चर्चा यहां तक है कि प्रधानमंत्री कार्यालय और अमित शाह स्वयं रुचि लेकर दिल्ली के विकास कार्यों की योजना बनाने से लेकर उसे पूरा करने में जुटे हुए हैं। दिल्ली सरकार के नेताओं-अधिकारियों की सक्रियता इसी ‘ऊपरी नजर’ का परिणाम हो सकती है।
लेकिन दिल्ली को अंतरराष्ट्रीय स्तर के शहर के रूप में विकसित करना आसान नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि यमुना को छोड़ दें तो दिल्ली के पास अपना ऐसा कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सके। दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या इसके बहुत कम क्षेत्रफल (1484 वर्ग किमी) में बहुत अधिक आबादी (लगभग 2.5 करोड़) का होना भी है। राजधानी का बहुत अधिक क्षेत्र केंद्र सरकार की गतिविधियों-निर्माण, सेना-रेलवे की भूमि और एएसआई द्वारा संरक्षित भी है। ऐसी परिस्थिति में अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटकों का ध्यान खींचने के लिए नए निर्माण करना कठिन कार्य है।
लेकिन एक तरफ जहां अतिरिक्त भूमि का न होना दिल्ली के लिए चुनौती है, वहीं उसकी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वरदान का काम कर सकती है। दिल्ली में मुगलकालीन ऐतिहासिक इमारतों की लंबी श्रृंखला है। लेकिन दिल्ली अपनी पहचान के लिए केवल मुगल या स्वतंत्रता कालीन इतिहास पर निर्भर नहीं है। महाभारत काल की समृद्ध गाथा भी पर्यटकों को आकर्षित करने में अहम भूमिका निभा सकती है।
दिल्ली में यदि दिवाली, कर्तव्य पथ पर दीपोत्सव और छठ को पर्यटन की गतिविधि बनाना है तो यह काम प्रदूषण के रहते नहीं हो सकता। 20 अक्टूबर की दिवाली के ठीक अगले दिन 21 अक्टूबर को जगह-जगह पर एक्यूआई का स्तर 400 अंक को पार कर गया है। यमुना में प्रदूषण के कारण जगह-जगह झाग बन रहे हैं। छठ को सफलतापूर्वक संपन्न कराने की कोशिश में इस पर रसायनों का छिड़काव कराया जा रहा है। लेकिन सरकार को समझना होगा कि ये उपाय वायु प्रदूषण को रोकने के स्थायी समाधान नहीं हो सकते। इसके लिए उसे स्थाई समाधान खोजना होगा। चूंकि, दिल्ली में वायु प्रदूषण का बड़ा हिस्सा पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं के जरिए आता है, केंद्र सरकार को राज्यों से मिलकर इसका स्थाई समाधान करना होगा।
प्रदूषण की तरह दिल्ली का ट्रैफिक जाम भी लाइलाज लगता है। इससे निपटने के लिए सरकार को लीक से हटकर कड़े और प्रभावी इंतजाम करने होंगे। लोगों को सार्वजनिक साधन सुलभ बनाना होगा, अन्यथा कारों की बढ़ती संख्या महामारी बनकर सरकार के हर उपाय को बौना साबित कर देगी। सरकार को निजी वाहनों की संख्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए कड़े उपाय भी आजमाने से परहेज नहीं करना चाहिए। इसी तरह सरकार को दिल्ली की जल और ऊर्जा उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक नीति तैयार करनी चाहिए जिससे अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को यहां आसानी से आकर्षित किया जा सके।
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