
डेस्क: एक महिला (Women) जो पहले से शादीशुदा थी और चार साल के बच्चे की मां भी है, ने एक युवक (Young Men) पर रेप (Rape) का केस दर्ज किया. उसका कहना था कि उस युवक ने उससे शादी (Marriage) का वादा करके करीब एक साल तक शारीरिक संबंध (Physical Relations) बनाए. महिला का आरोप था कि युवक ने उसे यह भरोसा दिलाया कि जैसे ही उसका तलाक हो जाएगा, वह उससे शादी कर लेगा. जब ऐसा नहीं हुआ तो महिला ने युवक पर रेप का केस दर्ज कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने महिला की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने साफ कहा कि जब महिला पहले से शादीशुदा थी, तब कोई भी शादी का वादा वैध नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने यह भी देखा कि महिला खुद अपनी मर्जी से लंबे समय तक उस युवक के साथ रही, होटल में उससे दो बार मिली और पूरे एक साल तक रिश्ता बनाए रखा.
महिला ने तलाक (जिसे ‘खुलानामा’ कहा जाता है) दिसंबर 2022 में लिया था, लेकिन उसने दावा किया कि उसने 2022 के जून से लेकर 2023 के जुलाई तक युवक से संबंध रखे. इसका मतलब है कि वह उस समय तक कानूनी रूप से विवाहित थी जब यह रिश्ता शुरू हुआ था. कोर्ट ने पूछा कि जब वह पहले से शादीशुदा थी, तो कैसे वह किसी दूसरे से शादी की उम्मीद कर सकती थी?
युवक ने बताया कि जब वह पढ़ाई पूरी कर अपने गांव लौट गया और महिला उससे मिलने गई, तो उसका परिवार नाराज़ हो गया. उसके बाद ही महिला ने केस दर्ज किया. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी ध्यान दिया और कहा कि यह मामला शायद गुस्से या बदले की भावना से दर्ज किया गया हो.
अंत में कोर्ट ने कहा कि अगर कोई रिश्ता आपसी सहमति से शुरू हुआ था और बाद में वह रिश्ता बिगड़ गया, तो उसे रेप नहीं कहा जा सकता. यह कानून का दुरुपयोग होगा और ऐसे मामलों में पुलिस या अदालत को घसीटना सही नहीं है.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved