
नई दिल्ली । बिहार(Bihar) में विधानसभा चुनाव 2025(assembly elections 2025) को लेकर राजनीतिक गलियारों(The political corridors) में माहौल खूब गरम है। 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा(Bihar Legislative Assembly) के लिए अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने की संभावना है। इस बार का चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और महागठबंधन (इंडिया ब्लॉक) के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है, वहीं प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। इस बीच एक ताजा सर्वे आया है जिसमें बिहार को लेकर कुछ रोचक अनुमान लगाया गया है।
इंडिया टुडे-सीवोटर के ‘मूड ऑफ द नेशन’ सर्वे के नतीजे बताते हैं कि अगर आज बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों पर चुनाव हों, तो एनडीए अपनी बढ़त बनाए रखेगा। सर्वे के अनुसार 2024 लोकसभा चुनाव में 47% वोट पाने वाला एनडीए अब 50% वोट शेयर हासिल कर सकता है। वहीं विपक्षी इंडिया ब्लॉक का वोट शेयर 39% से बढ़कर 44% तक पहुंचने का अनुमान है। यानी दोनों गठबंधनों के बीच का अंतर थोड़ा कम हुआ है।
पिछले चुनावों की तस्वीर
2024 लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार की 40 में से 30 सीटें जीती थीं। इंडिया ब्लॉक को 9 सीटें मिली थीं, जबकि एक सीट निर्दलीय प्रत्याशी के खाते में गई थी। इसके मुकाबले 2019 के चुनाव में एनडीए ने 39 सीटें जीती थीं और आरजेडी-नेतृत्व वाला विपक्षी गठबंधन खाता तक नहीं खोल पाया था।
यह सर्वे 1 जुलाई से 14 अगस्त 2025 के बीच किया गया। इसमें देशभर के लोकसभा क्षेत्रों से 54,788 लोगों की राय ली गई। इसके साथ ही सीवोटर के नियमित ट्रैकर डेटा से 1,52,038 अतिरिक्त इंटरव्यू को भी जोड़ा गया। इस तरह कुल 2,06,826 लोगों की राय पर आधारित यह रिपोर्ट तैयार की गई है।
सीटों का अनुमान
वोट प्रतिशत बढ़ने के बावजूद इंडिया ब्लॉक को सीटों का फायदा मिलता नहीं दिख रहा। सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि एनडीए 30 से 32 सीटें जीत सकता है, जबकि इंडिया ब्लॉक 9 से घटकर 8 सीटों पर सिमट सकता है। यानी, 2024 के लोकसभा चुनाव में जहां एनडीए को 30 सीटें मिली थीं, इस बार उसकी स्थिति और बेहतर हो सकती है।
राष्ट्रीय और राज्य चुनाव में अंतर
सर्वे रिपोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह अनुमान केवल लोकसभा चुनावी रुझान को दर्शाता है। विधानसभा चुनावों में नतीजे अलग हो सकते हैं, क्योंकि बिहार के मतदाता, अन्य राज्यों की तरह राष्ट्रीय और स्थानीय मुद्दों को अलग-अलग तवज्जो देते हैं। कई बार वे लोकसभा के लिए एक गठबंधन को वोट देते हैं और विधानसभा में किसी अन्य दल या गठबंधन को।
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