
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने मध्य प्रदेश में हिरासत(detained in Madhya Pradesh) में एक युवक की मौत होने से संबंधित मामले में फरार पुलिस अधिकारियों(police officers) को गिरफ्तार नहीं करने पर मंगलवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को कड़ी फटकार लगाई और अवमानना की कार्रवाई (act of contempt)के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी। कोर्ट ने लगे हाथ CBI को अल्टीमेटम थमाते हुए कहा कि आरोपियों को दो दिनों के अंदर गिरफ्तार करें, नहीं तो उन्हीं के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी। दो जजों की पीठ की अध्यक्षता कर रहीं जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने कहा, “यह ऐसे नहीं चल सकता।
उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आप कार्रवाई करने में विफल रहे हैं। फिर CBI का क्या फायदा? आप लाचारी का बहाना बना रहे हैं। वह फरार है… कृपया लाचारी का बहाना न बनाएँ। हम केवल यह कहेंगे कि आपकी लाचारी सुरक्षा की आड़ में महसूस होती है।” जस्टिस नागरत्ना ने CBI को चेतावनी दी कि अगर चश्मदीद गवाह के साथ कुछ भी अनहोनी होती है, तो वह जाँचकर्ताओं को नहीं बख्शेंगी। जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की पीठ 24 वर्षीय मृतक की मां की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में क्या आरोप?
याचिका में आरोप लगाया गया है कि मामले की जांच का जिम्मा मध्य प्रदेश पुलिस से सीबीआई को सौंपने से संबंधित शीर्ष अदालत के 15 मई के आदेश का पालन नहीं हुआ है। पीठ ने सीबीआई को दोनों आरोपी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया। साथ ही एजेंसी को आगाह किया कि यदि मृतक के चाचा को कुछ हुआ तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।
चाचा इस मामले में एकमात्र चश्मदीद गवाह हैं और फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। जस्टिस नागरत्ना ने CBI के वकील से कहा, “हम केवल यही कहेंगे कि आपकी लाचारी (आरोपियों का) बचाव प्रतीत होती है और यह नहीं चल सकता। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद आप कार्रवाई करने में असमर्थ हैं… आप लाचारी का बहाना बना रहे हैं। वे फरार हैं, उद्घोषणा भी की जा चुकी है, फिर भी आप उनका पता नहीं लगा सके और उन्हें गिरफ्तार नहीं कर पाए। कृपया लाचारी का बहाना न बनाएंं।”
गवाह को कुछ भी नहीं होना चाहिए
पीठ ने कहा कि मृतक देवा पारधी के चाचा गंगाराम पारधी को कुछ नहीं होना चाहिए। अदालत ने कहा कि वह नहीं चाहती की हिरासत में एक और मौत हो। पीठ ने कहा, “इसे बहुत गंभीरता से लिया जाएगा। जिनकी हिरासत में वह (चाचा) हैं उन जेल अधिकारियों तक यह संदेश पहुंचा दें।” पीठ ने सीबीआई से दो अधिकारियों संजीव सिंह मावई और उत्तम सिंह कुशवाहा को गिरफ्तार करने में असमर्थता पर सवाल उठाया, जो अप्रैल से फरार हैं।
सीबीआई के वकील ने कहा कि फरार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गए हैं और उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया है। वकील ने कहा कि उनकी संपत्ति कुर्क करने के लिए आवेदन दायर किए गए हैं। वकील ने कहा कि सीबीआई द्वारा जांच का जिम्मा संभालने से पहले ही दोनों अधिकारी फरार हो गए थे। उन्होंने कहा कि छापे मारे गए और डिजिटल निगरानी की गई, लेकिन अधिकारी अभी भी फरार हैं।
CBI की दलील को SC ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण
पीठ ने इस दलील को “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” करार देते हुए वकील से कहा, “आप अच्छी तरह जानते हैं कि वे कहां हैं। आप वास्तव में उन्हें बचा रहे हैं।” जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि सीबीआई ने अन्य मामलों में तो मिनटों में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन इस मामले में गिरफ्तारी नहीं कर पाई। पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव, सीबीआई निदेशक और जांच के लिए जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ अवमानना के आरोप तय करने की चेतावनी दी।
सुनवाई की अगली तारीख 25 सितंबर
हालांकि, शीर्ष अदालत ने सीबीआई को अब तक की जांच और फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए उठाए गए कदमों पर विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। जस्टिस महादेवन ने कहा, “आप जेल अधिकारियों को यह भी सूचित करें कि चश्मदीद गवाह को कुछ भी नहीं होना चाहिए, उसे एक खरोंच तक नहीं आनी चाहिए।” अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 25 सितंबर तय की है। पीड़ित को उसके चाचा गंगाराम के साथ चोरी के एक मामले में हिरासत में लिया गया था। मृतक देवा की मां ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसके बेटे को प्रताड़ित किया और उसकी हत्या कर दी। इसके विपरीत, पुलिस ने दावा किया कि उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई।
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