
डेस्क: प्लास्टिक (Plastic) के खतरे और खेतों में पराली जलाने (Burning of Stubble) की समस्या से अब छुटकारा मिलने की उम्मीद है. आईआईटी मद्रास (IIT Madras) ने ऐसी खोज की है, जो पर्यावरण को देगी. संस्थान के वैज्ञानिकों (Scientists) ने फसलों के कचरे और पेपर वेस्ट से ईकोफ्रेंडली पैकेजिंग (Ecofriendly packaging) सामग्री तैयार की है, जो दिखने में प्लास्टिक फोम जैसी है, लेकिन मिट्टी में घुल जाती है. यह पैकिंग किसी मशीन से नहीं, बल्कि एक खास तरह की फफूंदी से तैयार की गई है, जो कचरे पर उगती है. इस खोज से न सिर्फ प्लास्टिक वेस्ट घटने की उम्मीद है, बल्कि किसानों को भी पराली और फसल के कचरे से आमदनी का एक नया जरिया मिलेगा.
देश में हर साल खेती का कचरा और प्लास्टिक वेस्ट इकट्ठा होता है. ये दोनों ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं. खेती का कचरा अक्सर जला दिया जाता है, जिससे हवा में प्रदूषण फैलता है, तो वहीं प्लास्टिक खत्म होने में सालों लग जाते हैं. आईआईटी मद्रास के वैज्ञानिकों के रिसर्च से दोनों समस्याओं को कम करने में मदद मिलेगी. इस खोज को लोगों तक पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों ने नेचरवर्क्स टेक्नोलॉजीज नाम की एक नई कंपनी भी शुरू की है.
गैनोडर्मा ल्यूसिडम और प्ल्यूरोटस ओस्ट्रिएटस नाम की फफूंदियों को लकड़ी के बुरादे, गत्ते और पुआल जैसे कचरे पर उगाया गया. यह इन कचरे को आपस में जोड़कर एक ऐसी चीज बनाती है, जो प्लास्टिक के फोम जैसी मजबूत होती है. यह पैकिंग हल्की होती है, जिसे इस्तेमाल मिट्टी में डाल दें तो आसानी से घुल जाएगी.
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