
नई दिल्ली । ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor)शुरू होने के बाद से ही विदेश सचिव विक्रम मिस्री(Foreign Secretary Vikram Misri)कर्नल सोफिया कुरैशी(Colonel Sophia Qureshi) और विंग कमांडर व्योमिका सिंह(Wing Commander Vyomika Singh) भारत की तरफ से दी जाने वाली प्रेस ब्रीफिंग का चेहरा रहे हैं। शनिवार को पाकिस्तान के साथ हुए युद्धविराम की भारत की ओर से पुष्टि विक्रम मिस्री ने ही की। इस दौरान उन्होंने बताया कि किस तरह दोनों देशों के बीच DGMO स्तर पर हुई बातचीत के बाद यह फैसला लिया गया है।
देश को लोगों को संबोधित करते हुए विदेश सचिव के गंभीर और संयमित रुख की चर्चा चारों तरफ हो रही है। पाकिस्तान को सख्त अंदाज में स्पष्ट संदेश देने वाले मिस्री सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड हो रहे हैं। बता दें कि विक्रम मिस्री को 2024 में भारत का 35वां विदेश सचिव नियुक्त किया गया गया था। इससे पहले वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ भी काम कर चुके हैं।
जम्मू-कश्मीर से है नाता
विक्रम मिस्री का जन्म 7 नवंबर, 1964 को श्रीनगर में हुआ था और उनका बचपन जम्मू-कश्मीर में बीता। उन्होंने अपनी पढ़ाई मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सिंधिया स्कूल से पूरी की। इसके बाद विक्रम मिस्री ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से इतिहास में डिग्री हासिल की। उन्होंने XLRI, जमशेदपुर से MBA की डिग्री भी हासिल की। अपने राजनयिक करियर की शुरुआत से पहले विक्रम मिस्री ने लिंटास इंडिया और कॉन्ट्रैक्ट एडवरटाइजिंग जैसी कंपनियां के साथ काम किया था। विक्रम मिस्री को कई भाषाओं में महारत हासिल है। अंग्रेजी, हिंदी, कश्मीरी और फ्रेंच पर उनकी बेहद अच्छी पकड़ है।
पीएम मोदी के रहे हैं निजी सचिव
विक्रम मिस्री 1989 में इंडियन फॉरेन सर्विस में शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने विदेश मंत्रालय के पाकिस्तान डेस्क पर काम किया। विक्रम मिस्री ने विदेश मंत्री आईके गुजराल और प्रणब मुखर्जी के अलावा तीन भारतीय प्रधानमंत्रियों, आईके गुजराल, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के निजी सचिव के रूप में भी काम किया है। इसके अलावा उन्होंने स्पेन, म्यांमार और चीन में राजदूत के पद भी संभाले हैं।
विदेश नीति का अहम चेहरा
मिस्री ने जनवरी 2022 से जून 2024 तक उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में काम किया। इस कार्यकाल में वे रणनीतिक मामलों को संभालते थे। इसके बाद 15 जुलाई 2024 को विक्रम मिस्री को भारत का 35वां विदेश सचिव नियुक्त किया गया। इसके बाद से विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ भारत की विदेश नीति का अहम चेहरा रहे हैं।
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