
सिरोही । कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा (Agriculture Minister Dr. Kirodi Lal Meena) के अनुसार राजस्थान में (In Rajasthan) मिलावटी ‘बायोडीजल’ का अवैध कारोबार (Illegal Trade of Adulterated ‘Biodiesel’ ) बेरोकटोक चल रहा है (Is going on Unhindered) । इससे राज्य सरकार को हर महीने लगभग 500 करोड़ रुपए के राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। यह गोरखधंधा न केवल सरकारी खजाने को खाली कर रहा है, बल्कि वाहनों के इंजन को खराब कर रहा है और बड़े पैमाने पर पर्यावरण प्रदूषण फैला रहा है।
सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी धोखाधड़ी और नुकसान के बावजूद जिम्मेदार एजेंसियां इस पर पूरी तरह से लगाम लगाने में विफल क्यों हो रही हैं? कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के अनुसार, यह अवैध कारोबार काफी समय से चल रहा है । पड़ोसी राज्य गुजरात से बेस ऑयल, व्हाइट ऑयल, लिक्विड पैराफिन ऑयल, फर्नेस ऑयल, टर्पेटाइन ऑयल जैसे पेट्रोलियम उत्पाद लाए जा रहे हैं, जबकि गुजरात में ऐसे नकली तेलों पर रोक है। इन उत्पादों को राजस्थान में ‘बायोडीजल (B100)’ के नाम पर धड़ल्ले से बेचा जा रहा है, जबकि नियम यह है कि वाहनों में डीजल के साथ अधिकतम 7% बायोडीजल ही मिलाया जा सकता है, और विक्रेता को इसे डीजल के साथ मिश्रित करके नहीं बेचना चाहिए, लेकिन ये फर्में बायोडीजल को डीजल के नाम पर बेचकर करोड़ों के अवैध कारोबार में लिप्त हैं और वाहन उपयोगकर्ताओं के साथ सीधे तौर पर धोखाधड़ी कर रही हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि इस अवैध व्यापार में शामिल कई फर्मों के पास बायोडीजल बेचने का वैध पंजीकरण तक नहीं है। राज्य के बायो फ्यूल नियम, 2019 के तहत 7 अप्रैल, 2022 के बाद से ऐसे निर्माताओं, आपूर्तिकर्ताओं या खुदरा विक्रेताओं को बायोडीजल बेचने की अनुमति नहीं दी गई है और न ही उनका नवीनीकरण किया गया है। कई फर्मों की वैधता अवधि तो 2022 के मध्य में ही समाप्त हो चुकी थी, लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया। एक जानकारी के अनुसार, ऐसी ही एक फर्म के 25 खुदरा विक्रेता इस अवैध कारोबार में संलिप्त हैं।
इस गंभीर स्थिति पर संज्ञान लेते हुए, ग्रामीण विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने 27 मई, 2025 को सभी जिला कलेक्टरों को ऐसे अवैध फर्मों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे । लेकिन इतने स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, यह सवाल अनुत्तरित है कि आखिर क्यों यह धड़ल्ले से चल रहा घोटाला पूरी तरह से बंद नहीं हो पा रहा है। राज्य सरकार को इस पर तुरंत और निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए ताकि न केवल राजस्व का नुकसान रुके, बल्कि नागरिकों के वाहन सुरक्षित रहें और पर्यावरण को हो रहा भारी नुकसान भी थामा जा सके।
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