
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में आप्रवासन और विदेशी नागरिकों के भारत में आने से संबंधित प्रावधान वाला विधेयक पेश किया। विपक्ष के कुछ सदस्यों के विरोध के बीच गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने ‘अप्रवास और विदेशी विषयक विधेयक, 2025’ पेश किया गया।
वहीं कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने नियमों का हवाला देते हुए विधेयक को पेश किए जाने का विरोध किया। उन्होंने दावा किया कि यह विधेयक कई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को वापस लिया जाए या फिर संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जाए ताकि इस पर गहन विचार-विमर्श किया जा सके। इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने भी नियमों का हवाला देते हुए विधेयक को प्रस्तुत किए जाने का विरोध किया।
इस पर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि विपक्ष की ओर से विधायी क्षमता पर सवाल उठाया गया है, लेकिन यह विधेयक सदन की क्षमता के अंतर्गत लाया गया है। उन्होंने कहा कि यह विषय संविधान की सातवीं अनुसूची में आता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसी भी विदेशी के प्रवेश या प्रस्थान का आदेश देना सरकार का संप्रभु अधिकार है। उनका कहना था कि चार अधिनियमों-पासपोर्ट अधिनियम 1920, विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम 1939, विदेशी अधिनियम 1946 और आप्रवास अधिनियम 2000 को निरस्त कर एक व्यापक अधिनियम बनाया जा रहा है।
इस विधेयक का उद्देश्य भारत में आने और जाने वाले लोगों के लिए पासपोर्ट और यात्रा दस्तावेजों की अनिवार्यता को स्पष्ट करना, केंद्र सरकार को कुछ विशेष अधिकार देना और विदेशी नागरिकों के वीजा, रजिस्ट्रेशन और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं को विनियमित करना है।
बिल में क्या प्रावधान हैं?
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved