
नई दिल्ली: सितंबर में जीएसटी (GST) में बड़ी कटौती (Price Hike) के बाद कार बाजार (Car Market) में आई तेजी अब धीरे-धीरे ठंडी पड़ती नजर आ रही है. नए साल 2026 की शुरुआत के साथ ही कार खरीदना पहले से महंगा होने वाला है. देश की कम से कम नौ बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों (Automobile Companies) ने जनवरी से कारों की कीमतें बढ़ाने का ऐलान किया है. अलग-अलग सेगमेंट में यह बढ़ोतरी 0.6 फीसदी से लेकर 3 फीसदी तक हो सकती है. इन बढ़ती कीमतों के पीछे कच्चे माल की महंगाई और रुपये की लगातार कमजोरी को बड़ी वजह माना जा रहा है.
हुंडई, होंडा, टाटा मोटर्स, रेनॉ, जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर, निसान, बीवाईडी, मर्सिडीज-बेंज और बीएमडब्ल्यू जैसी कंपनियां पहले ही कीमतों में इजाफे की पुष्टि कर चुकी हैं. उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कुछ अन्य कंपनियां भी जल्द ही इसी तरह का फैसला ले सकती हैं. आमतौर पर दिसंबर में पुराने स्टॉक को क्लियर करने के बाद जनवरी में कीमतें बढ़ाना ऑटो कंपनियों की पुरानी परंपरा रही है, और 2026 में भी यही ट्रेंड दोहराया जा रहा है.
देश की सबसे बड़ी पैसेंजर व्हीकल निर्माता टाटा मोटर्स भी इस बार जनवरी में कीमतें बढ़ाने जा रही है. कंपनी के पैसेंजर व्हीकल कारोबार के एमडी और सीईओ शैलेश चंद्रा ने साफ कहा है कि बीते नौ महीनों से कीमतें नहीं बढ़ाई गई थीं, लेकिन अब कमोडिटी कीमतों में इजाफा होने के कारण इसका असर ग्राहकों तक पहुंचाना जरूरी हो गया है. ऑटो कंपनियों का कहना है कि वे पहले ही काफी हद तक बढ़ती लागत को खुद वहन कर चुकी हैं, लेकिन एक सीमा के बाद ऐसा संभव नहीं रहता.
हुंडई मोटर इंडिया ने 31 दिसंबर को बताया कि वह 1 जनवरी 2026 से अपने पूरे मॉडल पोर्टफोलियो पर औसतन 0.6 फीसदी तक कीमतें बढ़ाएगी. कंपनी ने इसके पीछे कीमती धातुओं और अन्य कच्चे माल की बढ़ती लागत को वजह बताया है. वहीं रेनॉ, जो जनवरी में डस्टर की दोबारा लॉन्चिंग की तैयारी कर रही है, अपनी कारों की कीमतों में करीब 2 फीसदी की बढ़ोतरी करेगी. होंडा ने भी कीमतें बढ़ाने की पुष्टि की है, हालांकि उसने प्रतिशत का खुलासा नहीं किया है.
लग्जरी कार कंपनियों पर रुपये की गिरावट का सबसे ज्यादा असर पड़ने वाला है, क्योंकि इनका कारोबार आयात पर काफी हद तक निर्भर करता है. मर्सिडीज-बेंज ने कीमतों में बढ़ोतरी को 2 फीसदी तक सीमित रखा है, जबकि बीएमडब्ल्यू 3 फीसदी तक दाम बढ़ाने जा रही है. बीवाईडी जैसी कंपनियां, जो बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर हैं, उन्होंने भी जनवरी से कीमतें बढ़ाने का ऐलान किया है. 2025 में यूरो-रुपया दर 100 रुपये से ऊपर बनी रही और साल के अंत तक 105 रुपये के करीब पहुंच गई, जिससे आयात महंगा हो गया.
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी सेल और रेयर अर्थ मैग्नेट का लगभग पूरा आयात होता है. ऐसे में रुपये की कमजोरी ईवी निर्माताओं के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. टेस्ला जहां चीन से मॉडल वाई का आयात करती है, वहीं बीवाईडी ने अपनी सीलायन 7 इलेक्ट्रिक एसयूवी के दाम बढ़ाने की घोषणा की है. ऑटो उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि कंपनियां लागत को आंतरिक उपायों से कुछ हद तक संभाल सकती हैं, लेकिन एक समय बाद कीमतें बढ़ाना मजबूरी बन जाता है. ऐसे में 2026 में नई कार खरीदने वालों को अपनी जेब थोड़ी और ढीली करनी पड़ सकती है.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved