
नई दिल्ली: माल एवं सेवाकर (GST) की व्यवस्था को अब करीब 8 साल का वक्त बीत चुका है. इस बीच भारत से लेकर दुनिया की इकोनॉमी में बहुत कुछ बदल चुका है. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सरकार फिर लौट आई है और उनके ‘टैरिफ वॉर’ ने वर्ल्ड मार्केट की लंका लगाई हुई है. ऐसे में अब देश की जीएसटी व्यवस्था में बड़े बदलाव होने की संभावना है. इस समय सरकार ने जीएसटी सिस्टम में नए सिरे बदलाव करने के लिए नई बातचीत का दौर शुरू किया है. इसमें सभी राज्यों को भागीदार बनाया गया है. उम्मीद की जा रही है कि जीएसटी टैक्स सिस्टम को सिंपलीफाई किया जा सकता है और सरकार जीएसटी की टैक्स स्लैब को दोबारा से बदलने पर फोकस कर सकती है.
दरअसल बीते कुछ महीनों में ट्रंप टैरिफ वॉर की वजह से वर्ल्ड ट्रेड पर नए सिरे से काम हो रहा है. कई देश आपस में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) करने पर फोकस कर रहे हैं या अपने देश में टैरिफ नियमों को आसान बनाने का काम कर रहे हैं. भारत ने हाल में ब्रिटेन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पूरा किया है. जबकि यूरोपीय यूनियन के साथ एफटीए को लेकर बातचीत काफी अग्रिम चरण में है. दूसरी तरफ भारत और अमेरिका भी आपस में एक ट्रेड डील पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, जो ट्रंप टैरिफ वॉर को खत्म करने का काम करेगी.
ईटी की खबर के मुताबिक सरकार नहीं चाहती कि अमेरिका और ब्रिटेन या यूरोपीय संघ के साथ होने वाली किसी ट्रेड डील के चलते घरेलू बाजार पर उसका असर पड़े. इसलिए सरकार का फोकस जीएसटी में नए सिरे से बदलाव करने पर है. इतना ही नहीं सरकार जीएसटी कानून को भी आसान बनाने पर ध्यान दे रही है. कानून को छोटा, ज्यादा एफिशिएंट और सरल बनाने को लेकर सरकार के भीतर विचार विमर्श चल रहा है. हाल में सरकार ने इनकम टैक्स कानून को सरल बनाने वाला संशोधन विधेयक भी संसद में पेश किया था.
अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जीएसटी को संशोधित करते वक्त इससे जुड़े आम लोगों के दुख-दर्द को दूर करने पर फोकस है. इसमें जीएसटी के स्ट्रक्चर, टैक्स स्लैब से लेकर उसके कंप्लायंस तक की दिक्कत को दूर किया जाएगा. जीएसटी से होने वाला टैक्स कलेक्शन अब स्टेबल हो चुका है. ऐसे में सरकार इसमें लगने वाले मुआवजा उपकर (कंपनसेशन सेस) को खत्म कर सकती है. जीएसटी काउंसिल ने इसके लिए एक मंत्री समूह पहले से बनाया हुआ है.
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