
नई दिल्ली । विपक्ष (Opposition) ने मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) के जज जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन (Judge Justice G.R. Swaminathan) के खिलाफ कथित दुराचार के आरोप में महाभियोग प्रस्ताव (Impeachment motion) लाने के लिए लोकसभा स्पीकर को नोटिस सौंपा है। इस नोटिस पर कांग्रेस, डीएमके और समाजवादी पार्टी सहित विभिन्न दलों के 107 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। सांसदों ने आरोप लगाया है कि जस्टिस स्वामीनाथन के कामकाज ने न्यायपालिका की निष्पक्षता, पारदर्शिता और धर्मनिरपेक्ष प्रकृति पर सवाल खड़े किए हैं।
विपक्ष द्वारा नोटिस में विशेष राजनीतिक विचारधारा के आधार पर और भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ मामलों का फैसला करने का आरोप लगाया है। जज पर एक वरिष्ठ अधिवक्ता और एक विशेष समुदाय के वकीलों के प्रति अनुचित पक्षपात दिखाने का भी आरोप लगाया गया है।
स्पीकर को नोटिस सौंपने वालों में डीएमके सांसद कनिमोझी, कांग्रेस की प्रियंका गांधी और गौरव गोगोई, सपा के अखिलेश यादव, एनसीपी (SP) की सुप्रिया सुले और AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी शामिल थे।
यह घटनाक्रम जस्टिस स्वामीनाथन के एक हालिया फैसले के बाद सामने आया है, जिसने एक राजनीतिक विवाद को जन्म दिया। जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन ने एक दिसंबर को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया था कि अरुल्मिगु सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर पर दरगाह के पास स्थित तिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर ‘दीपथून’ (पत्थर का दीप स्तंभ) पर दीपक जलाना उसका कर्तव्य है। जब अधिकारियों ने इसकी अनुमति नहीं दी, तो एकल पीठ ने 3 दिसंबर को एक और आदेश पारित किया, जिसमें भक्तों को स्वयं दीपक जलाने की अनुमति दी गई और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया।
राज्य सरकार ने इस आदेश को लागू नहीं किया और सर्वोच्च न्यायालय में फैसले को चुनौती दी है। मदुरै पीठ ने पिछले सप्ताह मदुरै जिला कलेक्टर और शहर पुलिस आयुक्त द्वारा दायर एक अपील को भी खारिज कर दिया था।
डीएमके ने पिछले सप्ताह लोकसभा में इस मुद्दे को उठाया था। पार्टी सांसद टी.आर. बालू ने भाजपा पर राज्य में सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाया था, जहां कुछ महीनों में चुनाव होने हैं। केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद एल. मुरुगन ने बालू पर पलटवार करते हुए राज्य सरकार पर भक्तों के पूजा के अधिकार से वंचित करने का आरोप लगाया।
लोकसभा में जस्टिस स्वामीनाथन की आलोचना हुई। सरकार की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया दी गई। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने जोर देकर कहा कि कोई भी न्यायपालिका पर आक्षेप नहीं लगा सकता।
आपको बता दें कि किसी जज को हटाने के प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए कम से कम 100 सांसदों की आवश्यकता होती है, जिसे पूरा कर लिया गया है। अब यह लोकसभा स्पीकर बिरला पर निर्भर करता है कि वे महाभियोग के लिए मांगे गए आधारों का अध्ययन करें और नोटिस स्वीकार करने पर निर्णय लेने से पहले हस्ताक्षर करने वाले सांसदों का सत्यापन करें।
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