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इमरान खान ने महिला जज के खिलाफ विवादित बयान वापस लेने की जताई इच्छा, माफी नहीं मांगेंगे

August 31, 2022

इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व प्रधानंमत्री इमरान खान (Former Prime Minister Imran Khan) ने एक महिला न्यायाधीश (female judge) के खिलाफ अपना विवादास्पद बयान (controversial statement) वापस लेने की इच्छा जताई है, लेकिन माफी मांगने से इनकार कर दिया। इस माह की शुरुआत में एक रैली में खान ने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किये गये अपने सहयोगी शहजाब गिल के साथ किये गये बर्ताव को लेकर पुलिस अधिकारियों, चुनाव आयोग एवं राजनीतिक विरोधियों के विरूद्ध मामला दर्ज कराने की धमकी थी।

साथ ही खान ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जेबा चौधरी पर भी आपत्ति जताई थी, जिन्होंने इस्लामाबाद पुलिस के अनुरोध पर गिल को दो दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजा था। खान ने जेबा चौधरी को लेकर कहा था कि उन्हें “खुद को तैयार रखना चाहिए क्योंकि उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”


इस भाषण के कुछ घंटे बाद ही खान पर अपनी रैली में पुलिस, न्यायपालिका और देश के अन्य संस्थानों को धमकाने के लिए आतंकवाद निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था। साथ ही इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) के न्यायमूर्ति मोहसिन अख्तर कयानी की अध्यक्षता में शामिल न्यायमूर्ति बाबर सत्तार और मियांगुल हसन औरंगजेब की तीन सदस्यीय पीठ ने खान को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और खान के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही भी शुरू की। कोर्ट ने उन्हें 31 अगस्त को तलब भी किया था।

उच्च न्यायालय को भेजे गए अपने लिखित जवाब में खान ने दावा किया कि टिप्पणी करने के समय उन्हें पता नहीं था कि चौधरी न्यायिक अधिकारी हैं, उन्हें लगा था कि वह कार्यकारी मजिस्ट्रेट हैं। उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिवादी (खान) विनम्रता के साथ कहता है कि उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों को अनुचित माना जाता है, तो वह उन्हें वापस लेने को तैयार हैं।”

खान ने अपने वकील के माध्यम से यह भी कहा कि उन्होंने अदालत की कोई अवमानना नहीं की है और रैली में इस्तेमाल किए गए उनके शब्दों को गलत तरीके से पेश किया गया। इसके विपरीत, यह प्रत्येक नागरिक का कानूनी अधिकार है कि वह कानून के अनुसार किसी न्यायाधीश या किसी अन्य सार्वजनिक पदाधिकारी के आचरण/कदाचार के बारे में शिकायत कर सकता है। अंत में, उन्होंने आग्रह किया कि उनके खिलाफ कारण बताओ नोटिस को हटा दिया जाए और अवमानना की कार्यवाही वापस ले ली जाए।

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