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इशारों में CJI ने कहा- न्यायपालिका संरक्षक है, संविधान ने बराबर अधिकार दिए

July 09, 2025

मुंबई। भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई (CJI BR Gavai) को महाराष्ट्र विधानमंडल (Maharashtra Legislature) की ओर से सम्मानित किया गया। वह महाराष्ट्र मूल के हैं और उन्हें चीफ जस्टिस बनाए जाने को राज्य का गौरव बताते हुए दोनों सदनों ने सम्मानित किया। इस दौरान उन्होंने सदन को संबोधित भी किया और अहम टिप्पणी करते हुए न्यायपालिका बनाम कार्यपालिका वाले विवाद पर भी इशारों में बात की। संसद की सर्वोच्चता वाला बयान पिछले दिनों उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया था। इस पर उन्होंने इशारों में ही कहा था कि संविधान के तहत कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका एक समान हैं।


उन्होंने इस बात को एक बार फिर से दोहराया। इसके अलावा यह भी कहा कि अदालत को नागरिकों के अधिकारों की प्रहरी और संरक्षक के रूप में काम करना होगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि संविधान सर्वोच्च है। यह कहते हुए उन्होंने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था कि हम सभी संविधान की सर्वोच्चता में विश्वास करते हैं। संविधान ने तीन अंगों – कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को अधिकार दिए हैं। आंबेडकर ने कहा था कि न्यायपालिका को नागरिकों के अधिकारों की प्रहरी और संरक्षक के रूप में काम करना होगा।’

जस्टिस गवई ने कहा किआंबेडकर ने कहा था कि न्यायपालिका को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए। आंबेडकर ने कहा था कि संविधान शांति और युद्ध के दौरान देश को एकजुट रखेगा।

दरअसल उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अप्रैल में कहा था कि संसद सर्वोच्च है और कोई उससे ऊपर नहीं है। इस पर इशारों में ही चीफ जस्टिस ने कहा था कि लोकतंत्र में संविधान सुप्रीम है, उसने तीनों अंगों को समान अधिकार दिए हैं। चीफ जस्टिस ने मंगलवार को आंबेडकर के हवाले से कहा कि कठिन संघर्ष के बाद प्राप्त स्वतंत्रता की रक्षा के लिए देश पर शासन करने वालों को जात-पात आधारित मतभेदों को दूर करना चाहिए।

देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं जस्टिस बीआर गवई
उन्होंने कहा कि आंबेडकर ने संविधान के माध्यम से नागरिकों के लिए राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक न्याय की बात कही थी। जस्टिस बीआर गवई महाराष्ट्र के एक रसूखदार राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता आर.एस. गवई महाराष्ट्र विधानपरिषद के चेयरपर्सन रह चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) का भी गठन किया था। जस्टिस गवई के चीफ जस्टिस बनने को महाराष्ट्र में भी सराहा जा रहा है। वह देश के दूसरे दलित जज हैं, जिन्हें मुख्य न्यायाधीश के पद तक पहुंचने का मौका मिला है। चीफ जस्टिस कई बार कह चुके हैं कि यदि मैं इस पद पर हूं तो यह देश के संविधान और लोकतंत्र के कारण है।

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