
पाइल टेस्टिंग के बाद अब जल्द शुरू होगा टनल निर्माण का काम, ताकि गांधी नगर से अंडरग्राउंड ट्रैक जुड़ सके
इंदौर। एक तरफ मेट्रो (metro) के एलिवेटेड कॉरिडोर (Elevated Corridor) का काम तो चल रहा है, वहीं अंडरग्राउंड ट्रैक (Underground Track) की शुरुआत भी हो गई है, जिसके चलते मेट्रो कॉर्पोरेशन ने पिछले दिनों एयरपोर्ट के साथ-साथ एमजी रोड, रिगल तिराहे का अवलोकन भी किया और मिट्टी परीक्षण,पाइल टेस्टिंग का काम शुरू करवाया। लगभग 2200 करोड़ रुपए का ठेका अंडरग्राउंड ट्रैक को तैयार करने के लिए हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्शन कम्पनी लिमिटेड और टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड जेवी को दिया गया है। अभी एयरपोर्ट की ओर से अंडरग्राउंड ट्रैक का काम शुरू कराया जाएगा, ताकि गांधी नगर स्टेशन तक कनेक्टीविटी हो सके। विशालकाय टनल बोरिंग मशीन के जरिए अंडरग्राउंड ट्रैक निर्मित किया जाएगा।
मेट्रो प्रोजेक्ट में जहां तमाम आधुनिक तकनीकों, मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वहीं अंडरग्राउंड ट्रैक के लिए टीबीएम यानी टनल बोरिंग मशीन इस्तेमाल होगी, जो कि एक तरफ विशाल गड्ढा कर जमीन में उतार दी जाती है और फिर यह मशीन अंदर ही अंदर सूरंग के आकार में खुदाई करते हुए दूसरे कोने तक टनल बनाने का काम आसान करती है और उसके साथ ही सीमेंट कांक्रीट के सेगमेंट का काम भी चलता है। देश के कई शहरों में अभी मेट्रो प्रोजेक्ट अमल में लाया जा रहा है और इंदौर में भी 32 किलोमीटर का एलिवेटेड और अंडरग्राउंड ट्रैक तैयार किया जा रहा है। अभी गांधी नगर स्टेशन तैयार करने के साथ टीसीएस स्टेशन तक 6 किलोमीटर के प्रायोरिटी कॉरिडोर में मेट्रो ट्रेन का संचालन भी शुरू कर दिया है। हालांकि यात्रियों का टोटा है। मगर इसी एलिवेटेड कॉरिडोर को अब एमआर-10, विजय नगर से रेडिसन, रोबोट चौराहा तक तैयार किया जा रहा है। हालांकि अभी इसमें 8 से 10 माह का समय लगेगा। उसके बाद ही गांधी नगर से लेकर विजय नगर तक मेट्रो का संचालन हो पाएगा। दूसरी तरफ गांधी नगर से लेकर एयरपोर्ट तक का हिस्सा अंडरग्राउंड ट्रैक से जुड़ेगा। लिहाजा जिस कम्पनी को मेट्रो कॉर्पोरेशन ने ठेका दिया है उसने पाइल टेस्टिंग के साथ अंडरग्राउंड खुदाई भी शुरू कर दी है। कुल 8 से 9 किलोमीटर का मेट्रो का अंडरग्राउंड ट्रैक बनना है, जिसके लिए विशालकाय टनल बोरिंग मशीन भी इस्तेमाल में लाई जाएगी। एयरपोर्ट की तरफ डायवर्शन शेड लगाकर कम्पनी ने काम भी शुरू कर दिया है। मेट्रो कॉर्पोरेशन के अधिकारियों का भी प्रयास है कि सबसे पहले गांधी नगर से एयरपोर्ट वाला अंडरग्राउंड ट्रैक तैयार हो जाए, जिससे कि मेट्रो का लगभग 20 किलोमीटर में संचालन किया जाना आसान हो जाएगा। अभी चूंकि यात्रियों का टोटा है। मगर जैसे ही रोबोट, रेडिसन से लेकर गांधी नगर होते हुए एयरपोर्ट तक मेट्रो की कनेक्टीविटी पूरी हो जाएगी तो यात्रियों की संख्या में भी वृद्धि होगी। एयरपोर्ट जाने के लिए भी फिर अधिकांश हवाई यात्री मेट्रो का ही इस्तेमाल करेंगे।
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