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निमिषा प्रिया केस में 3 लोगों पर रिहाई लटकाने का आरोप, एक विधायक पर भी फोड़ा ठीकरा

August 07, 2025

नई दिल्‍ली । यमन(Yemen) में भारतीय नर्स(Indian Nurse) निमिषा प्रिया(Nimisha Priya) पर अब भी मौत की सजा(death sentence) की तलवार लटक रही है। फिलहाल उनकी सजा टाल दी गई है, लेकिन मृतक तलाल आबदो मेहदी के परिवार ने फिर से मांग की है कि जल्दी ही निमिषा प्रिया को मौत की सजा दी जाए। अब तक इस मामले में भारत सरकार को भी अपने प्रयासों में सफलता नहीं मिली है। इसके अलावा केरल के ग्रैंड मुफ्ती अबू बकर मुसलियार के प्रयास भी सिरे नहीं चढ़ पाए हैं। उन्होंने यमन के इस्लामिक जानकारों के माध्यम से मामले में दखल का प्रयास किया था, जिससे फिलहाल सजा टल गई है, लेकिन माफी पर बात नहीं बन सकी है।


अब इस मामले में निमिषा प्रिया ऐक्शन काउंसिल के कोषाध्यक्ष के. कूराचंद ने दक्षिण केरल के एक युवा विधायक पर निमिषा की रिहाई में देरी कराने का आरोप लगाया है। ऐक्शन कमेटी के कोषाध्यक्ष ने कहा कि विधायक की ओर से उन लोगों को मदद की जा रही है, जो निमिषा की रिहाई में बाधा बन रहे हैं। मलयाली न्यूज वेबसाइट ‘मातृभूमि’ के अनुसार कुंजाहम्मद कूराचंद ने सोशल मीडिया के माध्यम से विधायक पर ये आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यमन में स्थित पादरी पॉल और सैमुएल जिरोम की ओर से इसमें बाधा पहुंचाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि मृतक तलाल आबदो मेहदी का परिवार पहले ही एक मिलियन डॉलर की रकम ब्लड मनी के तौर पर स्वीकार करने के लिए तैयार हो गया था। इसके बाद पादरी और जिरोम ने ब्लड मनी की रकम बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था और फिर पीड़ित परिवार भ्रमित हो गया। उसी के चलते समस्या बढ़ी है। के. कूराचंद ने कहा कि यदि विधायक की तरफ से इन लोगों को सपोर्ट न किया जाए तो फिर निमिषा प्रिया की रिहाई जल्दी हो सकेगी। उन्होंने सवाल किया कि आखिर विधायक ने इस मामले में गवर्नर से मुलाकात क्यों की है। उनके पिता ने इस मामले में हमसे संपर्क किया था। वही वह शख्स थे, जो इस मामले को तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री के संज्ञान में लाए थे। लेकिन अब उनके बेटे ने गवर्नर से क्यों मुलाकात की है और उसका एजेंडा क्या था।

बता दें कि तलाल आबदो मेहदी के भाई का कहना है कि हम किसी भी तरह से समझौते के पक्ष में नहीं हैं। हम अपने भाई का खून नहीं बेचेंगे। हम चाहते हैं कि दोषी को मौत की सजा मिले। दरअसल यमन में ब्लड मनी का भी प्रावधान है। इसके तहत मौत की सजा माफ हो सकती है, यदि पीड़ित परिवार मृतक के एवज में मुआवजा स्वीकार कर ले और दोषी को माफी देने को तैयार हो जाए।

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